Thursday, March 13, 2008

उनींदे की लोरी

सांप सुने अपनी फुंफकार और सो जाए
चिन्तियाँ बसा ले घर बार और सो जाये
गुरखे कर जाये खबरदार और सो जाये
(गिरधर राठी के इसी नाम के कविता संग्रह से)

पृथ्वी पर सबके लिए सुकून चाहने की इच्छा रखने की ऐअसी कविता शायद अन्य कहीं सम्भव हो। नींद यहाँ एक भरी पुरी आत्मीय दुनिया बनाटी हे। ध्वनी की दृष्टि से अनुस्वार की आवृति कविता को प्यारी रचना बनाटी he.
(कवि राजेश सकलानी की टिपणी )

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