Thursday, May 1, 2008

आकर हरी घाटी में बस गयी सरकार, लेकिन डर लगता है

अपने स्थापना दिवस 1 मई के अवसर पर देहरादून की नुक्कड नाट्य संस्था दृष्टि ने गांधी पार्क, देहरादून में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर कविताओं की पास्टर प्रदर्शनी लगायी गयी और दो कवियों, जिनमें दलित धारा के कवि ओम प्रकाश वाल्मीकि एवं युवा कवि राजेश सकलानी के काव्य पाठ का आयेजन किया गया।
दृष्टि, देहरादून की स्थापना 1983 में हुई थी। वर्ष 2008 को दृष्टि ने रजत जयंति वर्ष के रुप में मनाते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया। पिछले 25 वर्षो में जनपक्षधर संस्कृति के सवालों के साथ स्थानीय स्तर पर दृष्टि ने देहरादून ही नहीं बल्कि समूचे उत्तराखण्ड में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान उत्तराखण्ड सांस्कृतिक मोर्चे के गठन में दृष्टि की केन्द्रीय भूमिका रही।
आयेजित कार्यक्रम में हिन्दी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना जो पिछले दो वर्षो से देहरादून में रह रहे हैं, के साथ-साथ कथाकार विद्यासागर नौटियाल, सुभाष पंत, जितेन ठाकुर, गुरुदीप खुराना, गढ़वाली कविता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर एवं घूमंतू निरंजन सुयाल, कुसुम भट्ट, कृष्णा खुराना, सीपीआई के उत्तराखण्ड महासचिव समर भंडारी, जगदीश कुकरेती और कई ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता एवं अन्य कविता प्रेमी श्रोता और दर्शक मौजूद थे।

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