Monday, July 6, 2009

खिलाड़ी के पांवों से भी फूटती है संगीत की स्वर लहरियां

६ जुलाई २००९
देहरादून।





जीवन का उबड़-खाबड़पन भी उनके चित्रों में ऐसा समतल होकर उभरता है कि उम्मीदों भरा एक संसार आकार लेने लगता है। दो फलकों पर फैले चित्रों को त्रीआयामी बनाने के लिए चित्र को बहुत गहराई में उकेरने की बजाय वे दो अलग-अलग फलकों पर उनको रचते रहे। उनकी डाइगनल श्रैणी में भी इसको देखा जा सकता है। पेन्टिंग द्विआयामी विधा है। द्विआयामी समतल पर उसे त्रीआयामी संभव करना आसान नहीं।

चित्रकार प्रमोद सहाय का यह विश्लेषण दिवंगत चित्रकार तयेब(Tayeb) मेहता की स्मृतियों और उनके रचनात्मक अवदान को याद करने के लिए आयोजित संवेदना की मासिक गोष्ठी का हिस्सा है। पिछले दिनों चित्रकार तयेब मेहता (Tayeb Mehta) और सरोद वादक अकबर अली खां हमसे विदा हो गए। दोनों ही रचनाकारों को संवेदना के साथियों ने अपनी मासिक रचनात्मक गोष्ठी में याद किया। अकबर अली खां पर मुहममद हम्माद फारूखी ने विस्तार से बात रखी और उनके उस पहलू को भी याद किया जिसमें एक संगीतकार को फुटबाल खिलाड़ी के रुप में भी जाना जा सका। अकबर अली खां एक महत्वपूर्ण संगीतकार के साथ-साथ एक दौर में मध्य प्रदेश इलेवन के भी चहेते खिलाड़ियों में शामिल रहे।
कथाकार सुभाष पंत, मदन शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, अल्पना मिश्र, विद्या सिंह, दिनेश चंद्र जोशी, गुरूदीप खुराना, शिव प्रसाद सेमवाल, कवि राजेश सकलानी, प्रेम साहिल, कृष्णा खुराना, दर्शन कपूर, सुप्रसिद्ध फिल्म समीक्षक मनमोहन चडढा, सामाजिक कार्यकर्ता शकुंतला सिंह, राजेन्द्र गुप्ता आदि गोष्ठी में मौजूद थे |

सभी चित्र इंटरनेट पर विभिन्न स्रोतों से,सूचनार्थ प्रस्तुति के लिए, साभार लिए गए हैं।

6 comments:

admin said...

बहुत खूब लिखा है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Udan Tashtari said...

अकबर अली खां के बारे में जानकर अच्छा लगा. पेन्टिंग बहुत सुन्दर है.

naveen kumar naithani said...

इस गोष्ठी के संदर्भ में हरजीत का एक शे’र
जिन्दगी में खेल भी हों , रंग भी काफी
रहे ना फ़र्क अब कोई, पिकासो और पेले में

Vineeta Yashsavi said...

Akbar Ali Kha saab player bhi the aaj hi pata chala...

paintings bahut achhi hai...

अजेय said...

nice paintings!

शरद कोकास said...

चित्रों का चयन अच्छा है दिवंगतों के प्रति मेरी विनम्र श्रद्धांजलि