Saturday, July 25, 2015

हमारा आस पास

यादवेन्‍द्र


शाम से गहरे सदमे में हूूं,समझ नहीं आ रहा इस से कैसे निकलूँ । देर तक सिर खुजलाने के बाद लगा उसके बारे में लिख देना शायद कुछ राहत दे।

मुझे किसी व्यक्ति या समाज की आंतरिक गतिकी और गुत्थियों को समझने के लिये गम्भीर अकादमिक निबन्ध पढ़ने से ज्यादा ज़रूरी और मुफ़ीद लगता है उसके कला साहित्य की पड़ताल करना। पर हिंदी के अतिरिक्त सिर्फ़ अंग्रेज़ी जानने की अपनी गम्भीर सीमा है । भारत की हिन्दीतर भाषाएँ हों या विदेशी भाषाएँ, इनके बारे में अंग्रेज़ी में उपलब्ध सामग्री मेरा आधार है।

आज शाम बड़े परिश्रम से ढूँढ कर मैंने ग्रीस के बड़े लेखकों की दो कहानियाँ पढ़ीं।दोनों रचनाएँ सात आठ साल से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे ग्रीक समाज की भरोसे की कमी से जूझती आत्मा की हृदय विदारक पीड़ा का बयान करती हैं।एक कहानी डांवा डोल भविष्य से घबराये हुए पड़ोसी नौजवान की ऊँची इमारत से छलाँग लगा देने के दृश्य से लगभग विक्षिप्त हो जाने वाली स्त्री की अत्यंत मर्मस्पर्शी कहानी है,दूसरी कहानी आर्थिक संकट के कारण बगैर कोई नोटिस दिए नौकरी से बाहर कर दिए गए एक कामगार की भावनात्मक अनिश्चितता का जिस ढंग से ब्यौरा प्रस्तुत करती है वह कोल्ड ब्लडेड मर्डर सरीखा झटका देती है। उसके बाद जाने किसका नम्बर आ जाये,इस आशंका का रूप इतना मुखर है कि पाठक को लगने लगता है कहीं कल उसका इस्तीफ़ा न ले लिया जाये।

मैंने पिछले महीने मेडिकल साइंस के एक प्रतिष्ठित जर्नल में छपे अध्ययन के बारे में पढ़ा कि 2011-2012 के दो सालों में ग्रीस में आत्महत्या की दर में 35फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।बेरोज़गारी ऐसी कि हर चौथा व्यक्ति काम से बाहर है।ऐसे समाज को विद्वानों से ज्यादा अंतरंगता के साथ लेखक कवि कलाकार समझ सकते हैं,और उनके तज़ुर्बे संकट के समय हमें उबरने में मदद कर सकते हैं।मानव समाज इसी साझेपन से चलता और विकसित होता है।

3 comments:

Onkar said...

sateek lekh

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (26-07-2015) को
"व्यापम और डीमेट घोटाले का डरावना सच" {चर्चा अंक-2048}
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

राजेन्द्र अवस्थी said...

लेख सटाक और सार्थक है किंतु जिन ग्रीक लेखकों की पुस्तकों का आपने अपने लेख में जिक्र किया उन पुस्तकों का और उन लेखकों का यदि लिंक भी लेख के माध्यम से साझा हो जाता तो लेख विशिष्टता को प्राप्त हो जाता..।