Monday, June 6, 2016

सोचने वाला बॉक्सर

आज सुबह सुबह यादवेन्‍द्र जी का संदेश मिला, 'ब्‍लाग के लिए सामग्री भेजी है।' मेल देखा तो बहुत मन से लिखे गये और मुहम्मद अली के जरूरी उदगार दिखे। यादवेन्‍द्र जी का आभार।

 वि.गो.
 


मुहम्मद अली बॉक्सिंग से रिटायर होने के बाद हेनरी किसिंजर की तरह किसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने की बात अक्सर किया करते थे। उन्होंने जीवन पर्यन्त निर्भीकतापूर्वक अपने सुस्पष्ट एवं प्रखर विचारों को बेवाकी के साथ कह देने का धर्म निभाया। उनके कुछ वक्तव्य गहरी समझ का पर्याय हैं ,इनमें से एक वक्तव्य यहाँ उद्धृत है ।

प्रस्तुति : यादवेन्द्र
"जो लोग मुझसे यह जानने की इच्छा रखते हैं कि कल दुनिया में उपस्थित न रहने पर मैं किस तरह याद किया जाना चाहूँगा ,उनके लिए कहना चाहूँगा :

मुहम्मद अली

उसने कुछ प्याले प्यार के पिये 
एक बड़ा चम्मच सब्र का लिया 
छोटे चम्मच में दरियादिली 
और कटोरी भर नेकी 
हँसी ठट्ठा गिलास भर कर लिया 
और उसमें डाला  चुटकी भर लगाव और अपनापन  
उसके बाद ख़ुशी के रस में घोल दी अपनी स्वीकृति 
उसके पास बहुत बड़ी थी भरोसे की गठरी , उसमें वह भी मिलाया 
सबको अच्छी तरह से घुमा घुमा कर फेंट दिया .... 
पूरे जीवन को रोटी जैसा फैला कर
उसपर उड़ेला फैला दिया तैयार किया हुआ लेप 
और हर उस को थमाता रहा हाथ में एक एक टुकड़ा 
जिन जिन से सफ़र में  मुलाकात हुई 
और लगे वे साझेपन के सुयोग्य अधिकारी। 

1 comment:

Onkar said...

बहुत बढ़िया