tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post1454555901748354328..comments2024-03-18T11:08:06.414+05:30Comments on लिखो यहां वहां: अखबार में छपे मैटर की लाइफ एक दिन या हफ्ता भर और ब्लाग पर छ्पे की --- ?विजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-5535951430456494072010-07-30T13:24:54.828+05:302010-07-30T13:24:54.828+05:30बहुत बहुत आभार विजय जी, में ज्यादा साहितिक तो हूँ ...बहुत बहुत आभार विजय जी, में ज्यादा साहितिक तो हूँ नहीं, पर ऐसे सस्मरण पड़ने में बहुत आनंद आता है, मफ्तून साहेब के बारे में जानकार मन बहुत प्रसन्न हुआ. ऐसे भी लोग होते हैं..........................<br />शत शत नमनदीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-73201350149902522752008-05-09T09:40:00.000+05:302008-05-09T09:40:00.000+05:30मदन जी, आपके इस बेहद पठनीय लेख के लिए मेरी बधाई, ल...मदन जी,<BR/> आपके इस बेहद पठनीय लेख के लिए मेरी बधाई, लगा मैं भी उन खुशकिस्मत लोगों में से हूं जो गाहे बगाहे राजपुर रोड आपके साथ चले जाया करते थे. आपसे मेरी दो एक मुलाकातें ही हैं. तब मैंने लिखना शुरु नहीं किया था. ढंग का तो अभी भी नहीं लिखा है.<BR/>इंद्र कुमार कक्कड़ मुझसे एक बरस सीनियर थे डीबीएस कालेज में. देहरादून के साहित्यकारों से परिचित कराने का श्रेय उन्हीं को है. क्या उनका सम्पर्क मिल सकता है.<BR/>सूरज<BR/>soorajprakash.blogspot.com<BR/>kathaakar.blogspot.comकथाकारhttps://www.blogger.com/profile/05339019992752440339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-79290624235516531962008-05-02T00:03:00.000+05:302008-05-02T00:03:00.000+05:30धन्यवाद अनुराग जी. आपने अपनी प्रतिक्रिया से अवगत क...धन्यवाद अनुराग जी. आपने अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराया.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-32383446668058953222008-05-01T11:16:00.000+05:302008-05-01T11:16:00.000+05:30गौर साहब आप का शुक्रिया की आपने ये लेख हमे उपलब्ध ...गौर साहब आप का शुक्रिया की आपने ये लेख हमे उपलब्ध करवाया ,ओर मदन जी ने जिस तरह से पुरा किस्सा लिखा है एक ही साँस मी पढ़ गया ....किसी आदमी का पूरा जीवन जैसे पल भर मे सामने आ गया ..एक अच्छा लेखक होने के अलावा एक अच्छा इन्सान होना भी जरुरी है ......ऐसा अक्सर कम ही देखा गया है..लेकिन इन्हे पढ़कर लगता है....ऐसा मुमकिन है.डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com