tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post2035007977822770155..comments2024-03-29T03:47:04.949+05:30Comments on लिखो यहां वहां: हरेला के शुभ अवसर परविजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-64272545403933839632010-07-15T19:29:24.189+05:302010-07-15T19:29:24.189+05:30Bahut achhi jaankaaree ke liye shukriya..Bahut achhi jaankaaree ke liye shukriya..डॉ. नवीन जोशी https://www.blogger.com/profile/00241771195794155961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-56518432720666428972009-07-27T16:17:13.058+05:302009-07-27T16:17:13.058+05:30हरेला उत्तराखंड का एक प्रमुख लोक त्यौहार है| हरेला...हरेला उत्तराखंड का एक प्रमुख लोक त्यौहार है| हरेला उत्तराखंड की प्रकृति प्रेमी, विराट एवं समृद्ध संस्कृति का परिचायक है| ये त्यौहार सामाजिक सोहार्द के साथ-साथ कृषि व मौसम से भी सम्बन्ध रखता है|<br /><br />हरेला: भिन्न प्रकार के खाद्यानों के बीजो को एक साथ उगाकर, दस दिन के बाद काटा जाता है| <br /><br />हरेला साल में तीन बार मनाया जाता है|<br /><br />१. चैत्र: चैत्र मास के प्रथम दिन बोया जाता है और नवमी को काटा जाता है|<br />२. श्रावण: श्रावन लगने से नौ दिन पहले अषअड़ में बोया जाता है और १० दिन बाद काटा जाता है|<br />३. आशिवन: आश्विन नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है|<br /><br />इस लोक त्यौहार के बारे में अधिक जानकारी के लिये निम्न लिंक पर जाने का कष्ट करें-<br /><br />http://www.merapahad.com/forum/culture-of-uttarakhand/()-harela-festival-of-uttarakhand/मेरा पहाड़http://www.merapahad.com/forumnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-2837755582740463502009-07-16T23:24:46.876+05:302009-07-16T23:24:46.876+05:30मुनीश भाई बहुत बहुत आभार, हालांकि ऎसा कहते हुए औपच...मुनीश भाई बहुत बहुत आभार, हालांकि ऎसा कहते हुए औपचारिक नहीं हूं पर औपचारिकता जैसी लग रही है, आपकी टिप्पणी आलेख को अर्थवान बना रही है।<br />अन्य मित्रों,वाणी जी, संगीता जी और अजेय भाई की टिप्पणियों में भी वह विविधता दिखाई दे रही है जो आप कह रहे हैं।<br />आप सभी मित्रों का आभार।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-17160422662597595612009-07-16T23:04:30.627+05:302009-07-16T23:04:30.627+05:30Thnx for sharing! Happy harela ! Even in Haryana a...Thnx for sharing! Happy harela ! Even in Haryana and west U.P. this kind of tradition exists during Dussehra days . This is one India brother ,basically. <br /> Krishna ,according to some pseudo-seculars, was just a local folk hero from cow-belt, but there are dances devoted to Him in Manipur and Meghalaya. Story of Rukmani haran is told in those areas of Arunachal where dialects are Chinese and Indian roads have not yet reached. In south almost every male name is synonymous with Krishna . It is one India definitely.I won't discuss Bharat versus India here..ha..ha..!मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-32031671344226997662009-07-16T11:06:37.842+05:302009-07-16T11:06:37.842+05:30लाहुल , हिमाचल प्रदेश् मे शीत ऋतु के सभी त्योहारों...लाहुल , हिमाचल प्रदेश् मे शीत ऋतु के सभी त्योहारों में इसी तरह(अन्धेरे मे) जौ उगाया जाता है. देवताओं को अर्पित करने और सगे सम्बन्धियों को भेंटने के लिए. जौ के इन पीले अंकुरों को य़ौरा कहते है.यौरा पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. <br />इन त्यौहारों मे से एक का नाम ही योर है.<br />योर फसल और संतति का आदिम त्यौहार है. इस मे पित्तरों को मदिरा , अन्न , और यौरा अर्पित किया जाता है....<br />भारत के सभी कोनों से इस पोस्ट पर कमेंट मंगाए. परम्पराओं के अंतर्सम्बन्धों की एक शृखला बंती चली जाएगी.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-86322074132397801062009-07-16T07:24:51.418+05:302009-07-16T07:24:51.418+05:30ऐसा ही कुछ राजस्थान में नवरात्री और गणगौर पर्व पर ...ऐसा ही कुछ राजस्थान में नवरात्री और गणगौर पर्व पर किया जाता है ...बस यहाँ धान के रूप में सिर्फ जौ का प्रयोग होता है!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-24704079455129086882009-07-16T07:24:40.649+05:302009-07-16T07:24:40.649+05:30नाम तो याद नहीं आ रहा .. पर इसी प्रकार का एक त्यौ...नाम तो याद नहीं आ रहा .. पर इसी प्रकार का एक त्यौहार झारखंड में भी मनाया जाता है .. छोटी छोटी कन्याओं के द्वारा .. अंकुरों से भरी टोकरी को आंगन के मध्य में रखकर वे सामूहिक रूप से गीत गाया करती हैं .. उसमें ईश्वर से अच्छी फसल के लिए और सुख शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com