tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post5450199447081678020..comments2024-03-29T03:47:04.949+05:30Comments on लिखो यहां वहां: पूँजीवादी व्यवस्था से भ्रष्टाचार को खत्म करना असंभव हैविजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-46184695201774911572011-04-08T19:33:55.835+05:302011-04-08T19:33:55.835+05:30शासन व्यवस्था किसी तरह की हो, सरकारी कामकाज जनता...शासन व्यवस्था किसी तरह की हो, सरकारी कामकाज जनता की भाषा में हो तो बहुत सारी समस्याएं अपने आप दूर हो जाएंगी। इसलिए सबसे जरूरी है कि अंग्रेजी को सह राजभाषा के आसन से हटाकर हिन्दी को देश की एकमात्र राजभाषा बनाया जाए।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-64984271949776906092011-04-08T11:56:46.804+05:302011-04-08T11:56:46.804+05:30मैं सोचता हूँ कि बात भ्रष्टाचार की भी नहीं है, ...मैं सोचता हूँ कि बात भ्रष्टाचार की भी नहीं है, 'People should not be satisfied.' and the same thing is happening, <br /><br />though intellect in me know we cant eradicate corruption fully but at the same time people of India should fight, if no hope is there, then put a brave fight just for fight sake.Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-8864630542937448152011-04-08T08:16:38.281+05:302011-04-08T08:16:38.281+05:30यह सच है कि पूँजी वादी > बाज़ारवादी> उपभोक्...यह सच है कि पूँजी वादी > बाज़ारवादी> उपभोक्ता वादी व्य्वस्था भ्रष्टाचार को व्यापक प्रसार, सहमति, और औचित्य प्रदान करती है. लेकिन ऐसा भी नही कि इस का उत्स महज़ व्यवस्था मे ही है. आदमी की व्यक्तिगत नैतिक इंटेग्रिटी भी तो कोई चीज़ होती है! मुझे तो लगता है केवल व्यवस्था को दोष देने के बजाए हम अंतर्मुखी हो कर भी सोचें ... हम जाने अनजाने रोज़मर्रा मे कितना भ्रष्टाचार का सपोर्ट कर लेते हैं! बुरा जो देखन मैं चला.....अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-15105392520121107342011-04-08T01:11:47.867+05:302011-04-08T01:11:47.867+05:30अन्ना की लड़ाई के नैतिक समर्थन के बावज़ूद मैं कहना...अन्ना की लड़ाई के नैतिक समर्थन के बावज़ूद मैं कहना चाहूँगा कि 'भ्रष्टाचार पूंजीवादी व्यवस्था का अनिवार्य सह उत्पाद है और इस व्यवस्था के किसी बेहतर विकल्प की तलाश और स्थापना की लड़ाई ही अंततः भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकती हैAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.com