tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post6037330693145568674..comments2024-03-29T03:47:04.949+05:30Comments on लिखो यहां वहां: उदार-अंधराष्ट्रवादविजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-42933104075985135252011-12-25T20:42:31.564+05:302011-12-25T20:42:31.564+05:30Kavita padh lee thee, par yh post itni deri se pad...Kavita padh lee thee, par yh post itni deri se padh raha hoon. is masle par aapki ray dekhkar khushi huii. jo halaat hain, u n par dukh aur bechaini to hai hiEk ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-62491492580026375402011-09-10T20:17:42.371+05:302011-09-10T20:17:42.371+05:30यह एक गम्भीर कविता है जो इस भ्रष्टतंत्र में शामिल ...यह एक गम्भीर कविता है जो इस भ्रष्टतंत्र में शामिल तमाम लोगों के प्रलाप मैं भी अन्ना तू भी अन्ना की पोल की खोलती है। जैसा कि राजदीप सरदेसाई अन्ना के नाम अपनी चिट्ठी (दैनिक भास्कर) में लिखते हैं कि अगर अबू सलेम की प्रेमिका मोनिका बेदी अन्ना टोपी पहन कर निकले तो आँदोलन की दिशा कौनसी है?प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-81726024761404427342011-09-10T06:12:14.717+05:302011-09-10T06:12:14.717+05:30aapaki tippni ke sath yah kavita or bhi sarthak ho...aapaki tippni ke sath yah kavita or bhi sarthak ho uthi hai.aapaka yah kahana sateek hai ki-उदार-अंधराष्ट्रवाद की एक और विशेषता है कि गैर-जनतांत्रिक होते हुए भी जनतंत्र में पारदर्शिता की बात बहुत जोर-शोर से करता है। प्रगतिशील मूल्यों के प्रति सहमति के भाव के बावजूद गैर प्रगतिशील विचारों की व्याप्ति के लिए उदार-अंधराष्ट्रवाद को हमेशा जनता के किसी बेहद धड़कते हुए मुद्दे की दरकार रहती है। अपनी चोरजेब के अर्थतंत्र के लेखे-जोखे को ज्यादा पारदर्शी बनाने की उसकी कोशिशें, तरह-तरह के छल-छद्म से छली जाती जनता के पढ़े लिखे तबके को प्रभावित करने के लिए, लोकप्रिय छवी की तलाश में होती हैं और लोकप्रिय छवी के इर्द-गिर्द लामबंदी की कार्रवाइयों में उसके नेतृत्व का अहम हिस्सा खुद की छवियों को ज्यादा से ज्यादा संवारने की कोशिश में जुटा होता है।Mahesh Chandra Punethahttps://www.blogger.com/profile/09695768908018459567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-22000866912176377072011-09-09T23:58:54.263+05:302011-09-09T23:58:54.263+05:30bahut hi sateek lekhan.. isi se inspired kuchh aur...bahut hi sateek lekhan.. isi se inspired kuchh aur lines banee hain..<br />संसद का हर गुम्मा बोला, परवानों संग शम्मा बोला <br />जाहिल और निकम्मा बोला, मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना.<br />लोकतंत्र की नीवें बोलीं, दर्द से निकलीं पीवें बोलीं<br />और चटोरी जीभें बोलीं, मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना..<br />अकबरपुर की रौनक बोली, रामचंद्र की चौखट बोली<br />टीम सेकुलर फ़ोकट बोली, मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना..<br />बाज़ार में ढोल मजीरे बोले, आँगन में फिर ढोलक बोलीं <br />खन-खन करती गोलक बोली, मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-48905836793711293682011-09-08T21:28:50.220+05:302011-09-08T21:28:50.220+05:30फेस बुक पर एक कवि मित्र ने अभिभूत हो कर इस कविता क...फेस बुक पर एक कवि मित्र ने अभिभूत हो कर इस कविता के पर्चे बँटवाने की बात कही थी... सच मे . प्रासंगिक और गम्भीर कविता .आप की टिप्पणी के साथ जोड़ कर इसे पढ़ना और भी सुखद है. सच को आम आदमी तक पहुँचाना आज आसान काम नही रह गया है.... लेकिन यह कविता सच को पूरा उघाड़ कर पेश करती है....अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-50454761227830715552011-09-08T21:16:59.573+05:302011-09-08T21:16:59.573+05:30भोले भाले जन और धूर्त दोनों ही किस प्रकार अन्ना के...भोले भाले जन और धूर्त दोनों ही किस प्रकार अन्ना के आन्दोलन में शामिल हैं , इस बात को बेहतर तरीके से बताया है इस कविता में:<br />नफरत बोली मैं भी अन्ना, प्यार बोला मैं भी अन्ना!<br />हंसकर भ्रष्टाचार बोला मैं भी अन्ना, मैं भी अन्ना!<br /><br />बधाई.<br />- शून्य आकांक्षी.C.M.UPADHYAYhttps://www.blogger.com/profile/12573334805223194065noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-9019188229386698352011-09-08T16:51:54.286+05:302011-09-08T16:51:54.286+05:30भाई विजय गौड़ जी अन्ना कविता वाकई बेजोड़ है अरुण ज...भाई विजय गौड़ जी अन्ना कविता वाकई बेजोड़ है अरुण जी के ब्लॉग पर और अमर उजाला दोनों में मैं इसे पढ़ चुका हूँ बधाई |आपका ब्लॉग अच्छा लगा |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-54976420600024253792011-09-08T16:51:53.775+05:302011-09-08T16:51:53.775+05:30भाई विजय गौड़ जी अन्ना कविता वाकई बेजोड़ है अरुण ज...भाई विजय गौड़ जी अन्ना कविता वाकई बेजोड़ है अरुण जी के ब्लॉग पर और अमर उजाला दोनों में मैं इसे पढ़ चुका हूँ बधाई |आपका ब्लॉग अच्छा लगा |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-399257094917729712011-09-08T16:44:14.476+05:302011-09-08T16:44:14.476+05:30नि:संदेह स्तरीय व विचारणीय कविता।नि:संदेह स्तरीय व विचारणीय कविता।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.com