tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post7740301604319065912..comments2024-03-18T11:08:06.414+05:30Comments on लिखो यहां वहां: यह कैसी सांस्कृतिक होड़ है विजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-20816271877714733242016-01-11T16:18:03.711+05:302016-01-11T16:18:03.711+05:30 सौन्दर्य को परखने की कोई प्रतियोगिता करनी ही है त... सौन्दर्य को परखने की कोई प्रतियोगिता करनी ही है तो उसे महिलायें ही महिलाओं के सामने क्यों नहीं परखती ? क्या नारी अपने सौन्दर्य को खुद नहीं परख सकती है ? उसका पारखी क्या केवल और केवल पुरुष ही हो सकता है ? ..सच सटीक सवाल उठाये हैं आपने ..भोगवादी समाज का हिस्सा बनने का जूनून आत्मघाती कदम से कम है .. ..<br />.सटीक चिंतनशील विचार प्रस्तुति ...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com