tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post8199231740346349958..comments2024-03-29T03:47:04.949+05:30Comments on लिखो यहां वहां: महिला समाख्या एवं साहित्य अकादमी के कार्यक्रमविजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-55395719978047782932009-07-21T21:22:17.540+05:302009-07-21T21:22:17.540+05:30मुझे लगता है तल्ख़ जुबान के पीछे हमारा कोई जाना पह...मुझे लगता है तल्ख़ जुबान के पीछे हमारा कोई जाना पहचाना चेहरा है. अकादमी के बारे में तो " केशव कहि न जाये क्या कहिये" वाली स्थिति है. लेकिन बटरोही जी पर इस एकपक्षीय हमले का मैं विरोध करता हूँ. ये तल्ख़ जुबान चाहे तो कह सकती है कि शिरीष मौर्य ने भी महादेवी जी की रोटी खायी है.शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-54109049972354517882009-07-21T00:03:10.565+05:302009-07-21T00:03:10.565+05:30मैं कुछ समझा नही अजेय जी क्या कहना चाह्ते हैं आप?मैं कुछ समझा नही अजेय जी क्या कहना चाह्ते हैं आप?विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-17941056201672443402009-07-21T00:00:09.217+05:302009-07-21T00:00:09.217+05:30ऐसा था तो बहुत गलत था विजय भाई!
इस बात को उजागर ...ऐसा था तो बहुत गलत था विजय भाई! <br />इस बात को उजागर करने के लिए तल्ख ज़बान को बधाई.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-66357246755094761092009-07-20T18:13:52.558+05:302009-07-20T18:13:52.558+05:30जनाब विजय गौड़ साहब!
क्या रिपोर्ट लगायी है आपने. स...जनाब विजय गौड़ साहब!<br />क्या रिपोर्ट लगायी है आपने. साहित्य अकादमी की सारी पोल खोल कर रख दी. <br />ये एक बेशर्म संस्था है. हिन्दी सलाहकार मंडल की उत्तराखंड प्रतिनिधि मंजुला राणा एक अफ़सानानिगार भी हैं - पहली बार पता लगा. कवियों की सूची में भी कुछ नाम ना कभी सुने ना पढ़े ! और ना कभी आगे सुनने पढ़ने को मिलेंगे! क्या ये कार्यक्रम उसी देहरादून में हुआ जहाँ नवीन नैथानी,सुभाष पंत, राजेश सकलानी वग़ैरह रहते है? इन संस्थाओं का यही काम रह गया है कि कुछ बड़े लेखकों के साथ अपने चमाचो को खड़ा कर उनका बौना क़द सुधारने की असफल कोशिश करो. एक बटरोही जी का नाम भी देखा गया जो खुद महादेवी वर्मा के नाम की रोटी खाते हैं और अक्सर ऐसे समारोह आयोजित कर अपने साथियों को भी खिलाते हैं. उनकी नेकनामी देखने के लिए हंस के पिछले दो अंक पढ़ें या राजकमल से ख़रीद कर दूधनाथ सिंह की महादेवी जी पर लिखी किताब पढ़ें. <br /><br />जय हो पंडित विश्वनाथ तिवारी जी महाराज !तल्ख़ ज़ुबानnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-3136941092881042132009-07-20T17:00:46.817+05:302009-07-20T17:00:46.817+05:30sundar paath .sundar paath .अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-60851666469059534502009-07-20T15:04:48.423+05:302009-07-20T15:04:48.423+05:30kavita to achhi hai hi par apki awaz ke sath to ba...kavita to achhi hai hi par apki awaz ke sath to bahut bahut achhi lagi...Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.com