tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post8345982498054029720..comments2024-03-18T11:08:06.414+05:30Comments on लिखो यहां वहां: पहाडी खानाबदोशों का गीतविजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-59063569824052192692010-09-13T14:53:15.715+05:302010-09-13T14:53:15.715+05:30अजेय की एक और आश्वस्त करती कविता।अजेय की एक और आश्वस्त करती कविता।परमेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07894578838946949457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-4501738389511361162010-09-12T20:18:03.669+05:302010-09-12T20:18:03.669+05:30तुम अपनी झरती पत्तियों के आंचल में
सहेज लेना चुपके...तुम अपनी झरती पत्तियों के आंचल में<br />सहेज लेना चुपके से<br />थोडी सी मिट्टी और कुछ नायाब बीज<br /><br />अगले बसंत में हम फिर लौटेंगे!<br /><br />____________________<br /><br /><br />इंत्ज़ार रहेगाप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-25231456350176855652010-09-10T15:07:45.064+05:302010-09-10T15:07:45.064+05:30गुजरते मौसमो से विदा नये की उम्मीद ..इस बीच कितना ...गुजरते मौसमो से विदा नये की उम्मीद ..इस बीच कितना कुछ गुजर जाता है ज़िन्दगी के सुनहरे परदे पर..डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.com