tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post8885211947073440824..comments2024-03-18T11:08:06.414+05:30Comments on लिखो यहां वहां: लोक भाषा में फिलीस्तिनी कविताविजय गौड़http://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-41113604990840198452009-08-14T10:10:38.670+05:302009-08-14T10:10:38.670+05:30भाई ऎसा कोई उद्देश्य नहीं, आप तो पहले ही उनके प्रक...भाई ऎसा कोई उद्देश्य नहीं, आप तो पहले ही उनके प्रकाशन की घोषणा कर चुके हैं। अनुवाद भी इसीलिए किए हैं। मैं तो सिर्फ़ उस मोह को छोड न पाया जो लोगों को बताने का मन कर रहा था। कविताओं का पहला प्रकाशन मे जोहार सहिया में ही मानता हूं। <br /><b>यह बात दर्ज रहे।</b>विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-261734278263120842009-08-13T16:05:43.650+05:302009-08-13T16:05:43.650+05:30मैंने तो पहली बार किसी क्षेत्रीय भाषा में कोई अनुव...मैंने तो पहली बार किसी क्षेत्रीय भाषा में कोई अनुवाद पढ़ा है और यह एक सुखद अहसास है।Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-19947385470167408492009-08-13T15:24:31.076+05:302009-08-13T15:24:31.076+05:30ये बात और है कि सिर्फ इसकी मोहकता और मिठास का आभास...ये बात और है कि सिर्फ इसकी मोहकता और मिठास का आभास ही हो पाया पर तय है कि हिंदी में शब्द और मुहावरे बहुत कुछ अनुदीत होने का अहसास करवाते हैं. अनुवाद और उधारी की छाया मौलिक लेखन पर भी दिखने लगी है. ये उससे मुक्त हैं.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3781544463522842555.post-35906537617296846522009-08-13T04:05:35.153+05:302009-08-13T04:05:35.153+05:30बहुत बढ़िया पोस्ट। नागपुरी बोली की मिठास दिल को भा...बहुत बढ़िया पोस्ट। नागपुरी बोली की मिठास दिल को भा गई। फलस्तीनी कविता, कवि और रूपांतरकार से मिलवाने का शुक्रिया ...<br />आभार।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.com