Wednesday, January 16, 2013

खिड़की खोलो अपने घर की



एक जरा सी दुनिया घर की
लेकिन चीजें दुनिया भर की

फिर वो ही बारिश का मौसम
खस्ता हालत फिर छप्पर की

रोज़ सवेरे लिख लेता है
चेहरे पर दुनिया बाहर की

पापा घर मत लेकर आना
रात गये बातें दफ्तर की

बाहर धूप खडी है कब से
खिडकी खोलो अपने घर की
      -विज्ञान व्रत

2 comments:

36solutions said...

आम बात खास अंदाज में.

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना