Monday, July 26, 2010

एक रात, एक पात्र और पांच कहानियां(१)

( कोई पन्द्र्ह वर्ष पूर्व ये लघुकथायें लिखी गयी थीं और फिर कागजों के ढेर में गुम हो गयीं।अब यहां दो किस्तों में इस ब्लोग के पाठकों के लिये प्रस्तुत हैं-नवीन कुमार नैथानी)

अकेला
वह सड़क पर अकेला था.उसे याद नहीं आ रहा था कि वह अकेला क्यों है.याद करने की कोशिश में उसे मस्तिष्क को खोजना होगा जब्कि उसे देह को संभालने में दिक्कत हो रही है.वह आगे बढा और उसे लग कि आगे बढना मुश्किल है.वह पीछे हटा और उसे लगा कि पीछे हटना मुश्किल है.वह वहीं बैठ गया - डिवाइडर के ऊपर.बैठते ही उसे लगा कि लेट जाये . वह लेट गया और सो गया.
उस पल बहुत से लोग सडक से गुजर रहे थे.रात में भी इतनी रोशनी थी कि लोग उसे देख सकते थे.लोगओं ने देखा और सोच लिया-एक आदमी मर गया.

प्यास
प्यास के साथ वह उठा . सूखे गले के साथ कुछ दूर चला.तब उसने पाया कि वह सडक पर है.सामने सार्वजनिक जल की टंकी होनी चाहिये जिससे चौबीस घंटे पानी रिसता है.टंकी मिली,पानी मिला-रिसता हुआ. उसने अपने हाथ टंकी की दीवार से लगायेऔर होंठ गीले किये.बहुत देर तक वह अपनी प्यास से लडाता रहा.नीचे जमीन पर बहुत पानी था और जमीन में काई जम गयी थी.
उसका पैर जमीन पर फिसला और वह गिर पडा

घर
अंधेरी रत में वह धीमे-धीमे उठा.देह पर चोट थी .इसे संभालने के लिये उसे मस्तिष्क का साथ चाहिये.मस्तिष्क ने साथ दिया और उसे याद आया-बिछडने से पह्ले वह दोस्तों से घिरा था!
"अच्छा दोस्त!मुझे घर जाना है"
"अच्छा यार फिर मिलेंगे.घर पहुंचने के लिये बहुत देर हो गयी."
"अच्छा बन्धु!चलते हैं"
"अच्छा रहा यार,तुम कहां जाओगे?"
वह मुस्कराता रहा.दोस्त एक-एक कर घर चले गये.
"अच्छा है" वह बड़बडाया,"उनके पास घर तो है"

6 comments:

सुशीला पुरी said...

अद्भुत हैं ये !!!!!!

मनोज कुमार said...

जीवन संघर्ष को पूरे बोल्डनेस से खोलती कथा के जरिये जीवन की देखी-सुनी विडंबनाओं को पूरे पैनैपन से बेनकाब किया गया है।

विजय गौड़ said...

अगली कथाओं का इंतजार है, संभवत: उस रात का अनुमान लगा पाऊं जो एक व्यक्ति के अकेले होने को दर्ज करवा पाने में मजबूर हुई होगी। टाऊन हाल की सीढियों से लेकर मसूरी बस स्टैण्ड और फ़िर दर्शन ला चौक-तीन तिलंगे फ़िरते आवारा ?

अजेय said...

न जाने कितनी रातों को कितनी बार् कितने लोगों पर गुज़रा था यह सब ! नैथानी जी, आप ने दर्ज किया, आभार. अभिभूत हूँ , सच.

पारुल "पुखराज" said...

बेघर ..अकेलेपन के साथ ..प्यास से जूझना ...बेहतरीन

रवि कुमार, रावतभाटा said...

एक अनोखा अंदाज़ और शिल्प इनके कथ्य को बेहद मारक बना रहा है....

बेहतरीन लघुकथाएं....