शैलेय की कविताओं को पढ़ा जाना चाहिए, ऐसा कह कर सिफारिश करता हुआ होना नहीं चाहता - यह उनकी कविताओं का अपमान ही होगा। मैं बहुत छोटी-सी कविता पढ़ता हूं कभी, कहीं -
हताश लोगों से /बस/एक सवाल
हिमालय ऊंचा /या/बछेन्द्रीपाल ?
और अटक जाता हूं। कवि का नाम पढ़ने की भी फुर्सत नहीं देती कविता और खटाक के साथ जिस दरवाजे को खोलती है, चारों ओर से सवालों से घिरा पाता हूं। जवाब तलाशता हूं तो फिर उलझ जाता हूं। कुछ और पढ़ने का मन नहीं होता उस दिन। कविता का प्रभाव इतना गहरा कि कई दिनों तक गूंजती रहती है वे पंक्तियां। हाल ही में प्रकाशित शैलेय की कविताओं की किताब "या" हाथ लग जाती है तो पाता हूं कि पहले ही पन्ने में वही कविता मौजूद है। पढ़ता हूं और चौंकता हूं। इतने समय तक जो कविता मुझे कवि का नाम जानने का भी अवकश न देती रही, वह शैलेय की है तो सचमुच गद-गद हो उठता हूं। पर अबकी बार उस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश खुद से नहीं करता। बस संग्रह की दूसरी कविताओं में ढूंढता हूं। उस जवाब को ढूंढते हुए ढेरों दूसरे सवालों से घेरने को तैयार बैठी शैलेय की अन्य कविताऐं मुझे फिर जकड लेती हैं। लेकिन उन सवालों से भरी कविताओं को फिर कभी। अभी तो जवाब देती कविताओं को ही यहां देने का मन है।
शैलेय 09760971225
या
हताश लोगों से
बस
एक सवाल
हिमालय ऊंचा
या
बछेन्द्रीपाल ?
पगडंडियां
भले ही
नहीं लांघ पाये हों वे
कोई पहाड़
मगर
ऊंचाइयों का इतिहास
जब भी लिखा जाएगा
शिखर पर लहराएंगी
हमेशा ही
पगडंडियां।
इतिहास
ढाई साल की मेरी बिटिया
मेरे लिखे हुए पर
कलम चला रही है
और गर्व से इठलाती
मुझे दिखा रही है
मैं अपने लिखे का बिगाड़ मानूं
या कि
नये समय का लेखा जोखा
बिटिया के लिखे को
मिटाने का मन नहीं है
और दोबारा लिखने को
अब न कागज है
न समय।
बातचीत
मोड़ के इस पार
सिर्फ इधर का दृश्य ही दिखाई दे रहा है
उस पार
सिर्फ उसी दिशा की चीजें
ठीक मोड़ पर खड़े होने पर
दृश्य
दोनों तरफ के दिखाई दे रहे हैं
किन्तु सभी कुछ धुंधला
दृश्यों के हिसाब से
जीवन बहुत छोटा
दोनों तरफ की यात्राएं कर पाना कठिन
काश !
किसी मोड़ पर
दोनों तरफ के यात्री
मिल-बैठकर कुछ बातचीत करते।
+सवाल दर सवाल हैं हमें जवाब चाहिए - एक जनगीत की पंक्ति है। अभी रचनाकार का नाम याद नहीं। संभवत: गोरख पाण्डे। कोई साथी बताए तो ठीक कर लूंगा। लेकिन गोरख पाण्डे के अलावा रचनाकार कोई दूसरा हो तो अन्य दो एक पंक्तियां और पुष्टि के लिए भी देगें तो आभारी रहूंगा। क्योंकि मेरे जेहन में गोरख पाण्डे की तस्वीर उभर रही है तो उसे दूर करने के लिए पुष्ट तो होना ही चाहूंगा।