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Friday, September 11, 2009

येमेन की युवा कवयित्री की कविताएं

होडा एल्बन का जन्म सन् 1971 में येमिन में हुआ था। होडा ने अपनी मास्टरस डिग्री पॉलिटिकल साइंस में सान्ना यूनिर्वसिटी से सन् 1993 में प्राप्त की। वो अपनी कविताओं के पाठ कई कवि सम्मेलनों में कर चुकी हैं। अभी तक होडा के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। पहला संग्रह डामस्कस 1989 में तथा 1998 में तीसरा संग्रह प्रकाशित हुआ। उनकी कई कविताओं को सीमा अतल्ला द्वारा ब्लेसोक और बेनिपाल मैगजीन के लिये अनुवादित किया जा चुका है।

कबाड़

उसके चले जाने के बाद

कुछ भी शेष नहीं बचा उसका

मेरे सिवा...



स्वीकारोक्ती

कई बार रात के बीचो बीच

फूट-फूट पड़ती है मेरी रुलाई...

फिर अपने आंसुओं को मना कर

भेजती हूँ वापस

उन्हीं से आज जगमग है ये दुनिया

और बुझ पायी है मेरी धधक भी...



विभाजन

हम दोनों के बीचो बीच

पसरी हुई है रात

रूप रंग बदलती हुई निरंतर

एक तारा टूटा उसकी चुनर से

स्मृतियों के

ओर जा कर टंग गया सुदूर आकाश में

एकाकी...



बिछोह

तुम हो कि वहां बना रहे हो एक घर

और मैं हूं यहां ढहाती हुई

स्मृतियां एक एक कर

तुम्हारा घर तो खुला रहेगा सारी दुनिया के लिये

पर मेरी स्मृतियां

कुछ भी तो नहीं तुम्हारी निगाहों की पहुंच के सिवा...



समुद्री सफर


क्यों होता है ऐसा

कि जब ऊंघने लगती है हवा

तो बे-वतनी

अचानक फड़फड़ाने लगती हैं

मेरे तंग कपड़ों के अंदर ही अंदर...



क्षतीपूर्ति

जब भी सर्द सड़कें पसरने लगती हैं मेरे सामने

और चुकने लगती है मेरी रज़ाई की तपिश

मैं निकालती हूं उसे अपनी स्मृतियों की तिजोरी से

और लौ जला देती हूं उसमें

कोमलता की तीली से...

अनुवाद : यादवेन्द्र 



इस ब्लाग पत्रिका के सहयोगी लेखकों की तकनीक से एक हद तक परहेज की प्रवृत्ति के चलते पत्रिका को नियमित रूप से अपडेट करने में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा था। अपनी व्यस्ताताओं से चुराए जा रहे समय में मेरे लिए भी इसे नियमित रूप से अपडेट करना संभव नहीं हो रहा है। विनीता यशस्वी ने न सिर्फ इस पोस्ट को टाइप कर प्रकाशित करने में मद्द की बल्कि इसके साथ ही उन्होंने नियमित रूप से पत्रिका में लेखकीय भागीदारी निभाने का विश्वास भी जताया है। मैं अपने सभी सहयोगी साथियों की ओर से विनीता जी का आभार और स्वागत करते हुए उम्मीद करता हूं कि पत्रिका को नियमित और सामाग्री को समृद्ध करने में वे अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाती रहेंगी।

वि। गौ।