पिछले दिनों आंतो के इंफ़ेक्शन से पीड़ित हो जाने के बाद अस्वस्थ हो चुके दलित धारा के रचनाकार- कवि, कहानीकार, आलोचक और रंगकर्मी ओमप्रकश वाल्मीकि अब आपरेशन सफ़ल हो जाने के बाद स्वास्थय लाभ ले रहे। उनसे हुई टेलीफ़ोन वार्ता यूं तो नितांत व्यक्तिगत है पर बहुत से मित्रों के जिक्रों के साथ उसका होना मुझे उसे सार्वजनिक करने को उकसा रहा है। बहुत धीमी लेकिन जीवन के उल्लास से भरी खरखराहट में वाल्मीकि जी का यह कहना कि मैं अपने उन सभी मित्रों के प्रति आभारी हूं जिन्होंने बहुत करीब रहते हुए अपनी भौतिक उपस्थिति से या बहुत दूर रहते हुए भी तरह तरह के माध्यमों से इस कठिन घड़ी में मेरा हौंसला बढ़ाया, मैं उन सबके प्रति पूरे दिल से आभारी हूं। खासतौर पर जे एन यू के उन क्षात्रों का जिक्र वे नाम लेकर कर रहे थे जिन्होंने उनके लिए रक्त दान किया। कुछ डाक्टरी जांच आदि निपटा कर महीने भर के विश्राम के बाद ओमप्रकाश वाल्मीकि अपने घर देहरादून लौटंगे तब तक अपने पारिवारिक लोगों के साथ दिल्ली में ही विश्राम करेंगे। वैसे वे अब अपने को पूरी तरह से स्वस्थ मह्सूस कर रहे हैं लेकिन बीमारी के बाद की थकान का असर उनकी खरखरी आवाज में सुना जा सकता है।