विजय गौड
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
पर गांधी जैसा ही है उनका चेहरा
खल्वाट खोपड़ी भी चमकती है वैसे ही
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
गांधीवादी बने रहना भी तो
नहीं है इतना आसान;
चारों ओर मचा हो घमासान
तो बचते-बचाते हुए भी
उठ ही जाती है उनके भीतर कुढ़न
वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे
पर भीतर तो उठता ही है
गांधी जी भी रहते ही थे गुस्से से भरे,
कहते हैं वे,
गांधी नफरत से करते थे परहेज,
गुस्से से नहीं
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
गांधी 'स्वदेशी" पसंद थे
कातते थे सूत
पहनते थे खद्दर
वे चाहें भी तो
पहन ही नहीं सकते खद्दर
सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे
विशिष्टताबोध को त्यागकर ही
गांधी हुए थे गांधी
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
अहिंसा गांधी का मूल-मंत्र था
पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,
कहते हैं वे,
समयकाल के साथ चलकर ही
किया जा सकता है गांधी का अनुसरण।
7 comments:
वाजिब बात कही आपने
वे गांधीवादी हैं पर अब सब
गांधीगिरी चाहते हैं अपनाना
अच्छा अमली जाना पहनाना।
- अविनाश वाचस्पति
बड़ा मुश्किल है जी गांधी का अनुसरण !
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है
बहुत अच्छा बधाई ? गांधी एक अव्यक्त /अप्रत्यक्ष अतिआक्रामक व्यक्ति थे और अहिंसा उनका हथियार !
न तो गांधी के विचार और न वे स्वयं किसी एक राष्ट्र की भौगोलिक सीमाओं के भीतर रखकर देखे जा सकते हैं। वे पूरे विश्व के महात्मा हैं।
....आज हमने बापू का हैप्पी बर्थडे मनाया। बापू ने कर्म को पूजा माना था, इसलिए बापू के हैप्पी बर्थडे पर देशभर में कामकाज बंद रखा गया। मुलाजिम खुश हैं क्योंकि उन्हें दफ्तर नहीं जाना पड़ा, बच्चे खुश हैं क्योंकि स्कूल बंद थे। इस देश को छुट्टियाँ आज सबसे ज्यादा खुशी देती हैं।
सही कहा!!
गाँधी जयंति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आज गाँधी को कितने मनमाने ढंग से परिभाषित किया जा रहा है, प्रस्तुत कविता इसका अच्छा उदहारण है। गाँधी नाम का इतना प्रभाव है कि उससे आज भी लोग अपने आप को जोड़े रखना चाहते हैं। 'ऐसा कहते हैं वे' कह कर विजय जी ने पाठक को इस बात का भरोसा दिया है कि यह कोई सर्वसम्मत वक्तव्य नहीं है। गाँधी को हर कोई अपने ढंग से याद कर सकता है, यह भी कम बड़ी बात नहीं है।
Post a Comment