वर्ष 2009 की शुभकामनाओं और कथाकार जितेन ठाकुर के दिवंगत पिता को विनम्र श्रद्धांजली के साथ आज दिनांक 4/1/2009 को सम्पन्न हुई संवेदना की मासिक बैठक में कवि राजेश सकलानी ने अपनी नयी रचनाओं का पाठ किया जिन पर विस्तार से चर्चा हुई। कवि राजेश पाल ने भी अपनी ताजा रचनाएं सुनायी। अपने कथ्य में स्थानिकता को बयान करती राजेश पाल की कविता टिहरी की चिट्ठी ने निर्विवाद रुप से सभी को प्रभावित किया।
कथाकार डॉ जितेन्द्र भारती ने अपनी एक पुरानी कहानी लछमनिया, जिसे उन्होंने पहले मिली राय मश्विरों के अधार पर पुन: दुरस्त किया, का पाठ किया। मैंने भी अपनी ताजा कहानी फोल्डिंग दीवान पढ़ी। डॉ विद्या सिंह ने भी अपनी एक रचना का पाठ किया।
गोष्ठी में अन्य उपस्थितों में मुख्यरुप से कथाकार सुभाष पंत, मदन शर्मा, एस।पी सेमवाल, अशोक आनन्द, दिनेश चंद्र जोशी,, जयन्ती सिजवाली,, प्रेम साहिल, आदि रचनाकारों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता शकुन्तला, सुनील रावत और राजेन्द्र गुप्ता मौजूद थे।
गोष्ठी में पढ़ी गयी राजेश पाल की कविताएं यहां प्रकाशित की जा रही है।
राजेश पाल
टिहरी की चिट्ठी
दिन 8 जुलाई 2008
पोस्टमैन के हाथ में है
एक चिट्ठी
पता लिखा है-
राम प्रसाद नौटियाल
पुरानी मण्डी चौक
टिहरी
दुनियां में आज भी कितने लोग हैं
जो अपने पुराने दोस्तों को भी याद करते हैं
जिन्हें नहीं पता है
कि टिहरी का अब कोई पता नहीं है
और न ही पता है अब दोस्त का।
चादर
गड़रिये
सफर में
कन्धे पर चादर रखते हैं
धूप लगी तो - सिर पर बांध ली
ज्रुरत पड़ी तो - बिछा ली
नहाये तो
बदन पोछकर धेती बांध ली
दरअसल
बौहने पैर
बबूल के जंगल से गुजरते हुये
गड़रिये की जिन्दगी
और चादर में कोई फर्क नहीं है।
9 comments:
वाह राजेश भाई , वाह! लम्बे समय बाद बहुत ही शानदार वापसी आपने की है. बहुत बहुत बधाई!
विजय,
आपने 'टिहरी की चिट्ठी' सब को पढ़ा कर अच्छा किया, क्योंकि ऐसा अक्सर होता है कि साहित्यकारों के मठों, पीठों, गुमटियों आदि-आदि के च
लते कई अच्छे कवियों की रचनाएं पाठकों तक नहीं पहुंच पाती है...
बहुत अच्छा।
पाल साहब की दोनो ही कविताएं मार्मिक और आकर्षित करने वाली है। गडरिये और कंधे पर रखे जाने वाले कपड़े का बिंब तो बहुत ही अच्छा लगा। पाल साहब को मेरी ओर से कहिए वाह वाह वाह वाह इससे बढ़िया दाद भला अच्छे कवि को और कैसे दूं।
बहुत सुन्दर लिखा है । इतना अच्छा भी बहुत कम लोग लिख पाते हैं। बधाई स्वीकारें।
राजेश पाल जी की दोनों कविताएं बहुत ही अच्छी हैं। बहुत अच्छा लगा उन्हें पढ़कर। आभार।
कल भी देखी थी कविताये
आज थोरा सा ध्यान से देखा
राजेश पाल बुनियादी रूप से एक कवि है
स्वागत है आपका
bouth he aacha post kiyaa hai aappne yaar keep it up
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arse bad net chal raha hai,arse bad badhiya kavitayen.
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