जान गोर्डन आस्ट्रेलिया के एक युवा पर्यावरण रक्षक कार्यकर्ता हैं जो इन्वायरमेंट इंजीनियरिंग पढ़ कर कुछ वर्षों तक खनन कंपनियों में काम करने के बाद इस बात से बेहद आहत हुए की खनिज सम्पदा के दोहन के नाम पर देख के पर्यावरण की अपूरणीय क्षति की जा रही है.इसके बाद उन्होंने आस्ट्रेलिया के पर्यावरण रक्षण के लोक चेतना जागृत करने वाले समूहों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया.पिछले वर्ष उनका लिखा और संगीत बद्ध किया हुआ आस्ट्रेलिया- दुनिया की वेश्या प्रतिरोध गीत बेहद चर्चित और विवादास्पद हुआ...यहाँ तक की आस्ट्रेलिया के अनेक रेडियो स्टेशनों ने इसके प्रसारण पर प्रतिबन्ध लगा दिया और बात कोर्ट तक जा पहुंची.इस साल के शुरू में इसी अभियान के प्रचार के लिए गोर्डन भारत भी आए थे.
सुदूर आस्ट्रेलिया के इस अभियान के पीछे के तमाम कारण अपनी पूरी कुरूपता और बेशर्मी के साथ आज के इस भारत में भी यहाँ वहाँ मौजूद हैं.इसी लिए मुझे यह अपने पाठकों के साथ साझा करने का मन हुआ.
यहाँ प्रस्तुत है उनके उसी गीत का अनुवाद: प्रस्तुति: यादवेन्द्र
आस्ट्रेलिया-- दुनिया की वेश्या
---- जान गोर्डन
आस्ट्रेलिया जैसे हो कोई ख़ासमख़ास वेश्या
दरवाजे खोले प्रशस्त... बुलाती है खनिकों को
धड़धड़ा कर चले आओ अंदर
खोद डालो जितना चाहे बड़ा गड्ढा
फिर आयेंगे आत्मा को भी ढ़ो कर ले जाने वाले लोग
और समंदर के रास्ते रवाना कर देंगे यहाँ वहाँ...
ऐसे जहाजों को लाइन लगाये हुए दूर दूर तक
मैं देख रहा हूँ, ऐ लड़की....
आस्ट्रेलिया...दुनिया की वेश्या
किसी सड़क छाप उदास लड़की की मानिंद
आती हुई दौलत को मना कर नहीं सकती
तुम उन्हें करने देती हो हजार मनमानी
और छिन्न भिन्न करने देती हो अपनी आत्मा को भी
समंदर के रास्ते वे भेजते रहते हैं जो चाहें
तुम तो ये भी नहीं जानती
कि किस किस जगह पहुँचाई गई तुम्हारी दौलत .
(कोरस)
मुझे यह सब इतना अश्लील लगता है
बहुत कोशिश के बाद भी बे मजा...
कैसे तुम करती हो उन्हें हाथ हिला हिला कर विदा
और अंदर जाकर धोती साफ़ करती हो अपने हाथ...
आओ चलो मेरे साथ
हम चलेंगे सागर पार
तब मैं तुम्हें दिखाऊंगा कैसे धधक धधक कर
जल रहा है तुम्हारा यह काला सोना...
आस्ट्रेलिया किसी चीनी छिनाल की तरह बन गया है...
वे तुम्हारा मखौल उड़ा रहे हैं, ऐ लड़की
पहले वे चुरा ले गए तुम्हारी आत्मा
फिर उड़ाते हैं अब तुम्हारा ही माखौल
तुम्हारे नेता..उनकी तो रीढ़ ही नहीं है
वे बनाये रखते हैं लोगों को मूढ़
और आदम जमाने की पार्टी लाइन पर चलते जाते हैं
बिलकुल लकीर के फकीर बने हुए..
(कोरस)
मुझे यह सब इतना अश्लील लगता है
कि मैं इसको राष्ट्रीय अभिशाप कहता हूँ
कैसे तुम करती हो उन्हें हाथ हिला हिला कर विदा
और अंदर जाकर धोती साफ़ करती हो अपने हाथ...
मुझे दिखाई देता है मौसम का तेजी से बदलना
मुझे दिखाई देते हैं धरती पर छाये विनाश के काले बादल
इतने सब कुछ के बावजूद
कैसे तुम करती रहती हो यह सब सहज
मैं समझ नहीं पाता ...
कैसे और क्यों कर करती रहती हो यह सब?
(मुख्य गायक)
आस्ट्रेलिया..आओ हम मिलकर नाचें गएँ आनंद मनाएं
क्योंकि हम आजाद और जवान मुल्क हैं
और प्रकृति ने हमारी धरती को बला की
खूबसूरती, दौलत और नायाबी बख्शी है.
2 comments:
ऐ लड़की
पहले वे चुरा ले गए तुम्हारी आत्मा
फिर उड़ाते हैं अब तुम्हारा ही माखौल
Anonymous
2:02 PM (17 hours ago)
to me
Anonymous has left a new comment on your post "मेहरबानी करके हमारा कोयला न खरीदिये":
Thanks for all your work.
Posted by Anonymous to लिखो यहां वहां at January 28, 2012 3:32 AM
Post a Comment