Saturday, December 22, 2018

हिंदी जापानी साहित्य संवाद


हिंदी की महत्वपूर्ण कथाकार अल्पना मिश्र की 15 दिनों की  जापान की साहित्यिक यात्रा, भारत और जापान के साहित्यिक-, सांस्कृतिक सम्बन्ध की दिशा में एक बड़ा कदम है । हिंदी साहित्य के इतिहास में यह पहला अवसर था, जब कोई हिंदी का लेखक  वैश्विक स्तर पर सीधा संवाद कर रहा था।  यह दोनों देशों के बीच एक ऐसा बहु आयामी संवाद था जिसे न सिर्फ लंबे वक्त तक याद रखा जाएगा, बल्कि यह दुनिया के इतिहास में   दर्ज की गई परिघटना है। इस दौरान दुनिया के मशहूर लेखकों  में शुमार हिरोमी इटो के साथ अल्पना मिश्र का  विचारोत्तेजक ढाई घंटे का सीधा संवाद दोनों देशों के लिए एक उपलब्धि बना, जो सहेज कर रखने योग्य है।

इस दौरान अल्पना मिश्र के जीवन और लेखन के विभिन्न पहलुओं पर एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया।
 
जापान के चार मुख्य शहरों में आयोजित विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रम अल्पना मिश्र के लेखन और जीवन पर फोकस किया गया था। इस कार्यक्रम श्रृंखला की शुरुआत 22 नवंबर को इबाराकी में ओटेमोन विश्वविद्यालय के साथ वहाँ के कल्चरल सेंटर में हुई। यहां अल्पना मिश्र ने लम्बा व्याख्यान दिया, जिसमें भारतीय संस्कृति और स्त्रियों की स्थिति पर टिप्पणी के साथ अपनी लेखकीय यात्रा के बारे में भी उन बातों का उल्लेख किया जो उनके लेखक बनने में सहायक रहीं, जिसमें दुनिया के विभिन्न भाषाओं की उन पुस्तकों का भी जिक्र आया जिसने उनके जीवन पर प्रभाव छोड़ा था। व्याख्यान के बाद उपस्थित जापान के बौद्धिकों के साथ भारत जापान के साहित्यिक सांस्कृतिक परिवेश से संबंधित खुला संवाद हुआ । 25 नवंबर की सुबह ओसाका विश्वविद्यालय, ओसाका में जापानी छात्रों के साथ संवाद का सिलसिला जारी रहा । यह एक सुखद बात थी कि जापानी छात्रों में भारत के सांस्कृतिक परिवेश को समझने की जिज्ञासा तीव्र नजर आई । भारत जापान के रिश्ते की मजबूती के लिए साहित्य और संस्कृति को एक सेतु बनाना चाहते हैं । यहाँ उनकी बातों का जापानी में अनुवाद प्रोफेसर ताकाहाशी ने किया। दुनिया की सबसे तेज पूर्ण विकसित व्यस्त और इनोवेटिव शहर टोक्यो में, टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रांगण में 28 नवंबर को अल्पना मिश्र के कथा साहित्य के बहाने भारत और हिंदी के मन मिजाज को समझने की  उत्कटता अभिभूत करने वाली थी। अल्पना मिश्र के व्याख्यान के बाद जापान के दो प्रखर आलोचकों कोजी तोको और नाकामुरा काजुए ने अल्पना मिश्र के कथा साहित्य की गहन समीक्षा की।



राजकमल से प्रकाशित उनके उपन्यास 'अस्थि फूल' की रचना प्रक्रिया और उसके सामाजिक राजनैतिक पहलुओं पर विस्तार से बात हुई। 01 दिसम्बर को जापान के खूबसूरत शहर कुमामोटो में जापान की विश्व प्रसिद्ध लेखक हिरोमी ईटो से अल्पना मिश्र का सीधा संवाद हुआ। हिरोमी इटो ने संवाद के क्रम में अल्पना मिश्र से उनकी रचनाओं और भारत में औरतों के हालात के संबंध में  तीखे  सवाल किए जिनका उन्हें माकूल जवाब भी मिला ।वह प्रसन्न और  संतुष्ट भी हुई। दोनों लेखकों ने अपनी अपनी रचनाओं के अंशों का पाठ भी किया । अल्पना मिश्र के साहित्य का जापानी में किये गए अनुवाद की बुकलेट श्रोताओं के बीच सभी शहरों में वितरित की गई। यात्रा के दौरान कई प्रमुख हस्तियों ने कथाकार अल्पना मिश्र  से संवादों - साक्षात्कारओं के मार्फत उनके लेखन और हिंदी कथा साहित्य के परिवेश को जानने समझने की कोशिश की, जिनमें जापान में हिंदी विद्वान प्रोफेसर मिजोकामी, प्रोफेसर नाम्बा, प्रोफेसर कोमात्सु, श्री याजीरो तनाका, डॉ चिहिरो कोइसो, श्री रीहो ईशाका, श्री हाईदकी इशीदा के साथ साथ अनेक जापानी मीडिया के लोग, प्रोफेसर, फॉरेन ऑफिसर्स, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, रसियन,चीनी, जर्मन भाषा के विशेषज्ञ और बौद्धिक शामिल थे।


चंद्रभूषण तिवारी




1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (23-12-2018) को "कर्ज-माफी का जादू" (चर्चा अंक-3194) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'