दिनेश चंद्र जोशी
समाजिक सरोकारों व जनपक्षधरता से आंखें न चुराने वाली पत्रिका 'युगवाणी' का जून २०२१ अंक विशेष रूप से ध्यानाकर्षित करता है।
अब इसे सुयोग कहें या दुर्योग कि इस अंक की नब्बे फीसदी सामग्री करोना काल में दिवंगत हो गई उत्तराखंड की महान विभूतियों की जीवन यात्रा,उनके संघर्षों, उपलब्धियों,सामाजिक हस्तक्षेप व योगदान को ले कर है।
इस लिहाज से यह अंक उन महानुभावों के प्रति श्रद्धा,कृतज्ञता व आत्मीयता से परिपूर्ण रचनाओं का खजाना तो है ही, साथ ही उनके निर्माण, विकास,सक्रीयता, सरोकारों व योगदान का प्रामाणिक जानकारी पूर्ण दस्तावेज भी है।इस लिहाज से यह पत्रिका के इधर प्रकाशित गिने चुने यादगार संग्रहणीय अंकों में से एक बन पड़ा है।
पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा उत्तराखंड को कर्मभूमि बना कर देश दुनिया में पर्यावरण जागरूकता की मिशाल व मशाल बन कर उभरे, उनके निधन से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि,सर्वोदयी गांधीवादी विचारधारा के अंतरराष्ट्रीय युगपुरुष का अवसान हो गया।उन पर सम्पादकीय भूमिका सहित,डा.शेखर पाठक का महत्वपूर्ण, प्रामाणिक तथ्यों से युक्त आधार लेख,' एक लम्बी यात्रा का रूक जाना' शीर्षक से प्रकाशित है,साथ ही संजय कोठियाल का आलेख ' उनके लेखन ने उन्हें लक्ष्य तक पंहुचाया' , बहुगुणा जी के पत्रकार,लेखक व रिपोर्टर वाली भूमिका के पक्ष को लक्षित करता हुआ श्रद्धांजलि पेश करता है।
प्रसिद्ध इतिहासकार,जनचेतना के पैरोकार प्रोफेसर लाल बहादुर वर्मा पिछले पांच छह वर्षों से देहरादून में रह कर सक्रिय बुद्धिजीवी की भूमिका निभा रहे थे, करोना ने उन्हें भी अपना निवाला बना लिया।उनके रचनाकर्म व सांस्कृतिक, साहित्यिक सरोकारों पर अरविंद शेखर का सारगर्भित आलेख भी इस अंक की उपलब्धि है।
लोक-भाषा कुमाऊनी के सृजन,सम्पादन,संरक्षण व प्रचार प्रसार में एकनिष्ठता से जुटे समर्पित साहित्यकार मथुरा दत्त मठपाल जी को श्रद्धांजलि स्वरूप ' दुधबोली कुमाऊनी को समर्पित मथुरा दत्त मठपाल' शीर्षक से प्रकाशित हरिमोहन 'मोहन' का लेख बड़ी आत्मीयता से रचा गया है।
पिछले दिनों ही,उत्तराखंड के ओजस्वी युवा पत्रकार,व हिंदी की महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका आधारशिला के सम्पादक दिवाकर भट्ट भी इस महामारी से हार कर हमारे बीच नहीं रहे। उन पर आधारित जगमोहन रौतेला का लेख दिवाकर भट्ट के जुझारू व्यक्तित्व ,साहित्यिक लगाव व सम्पादकीय कौशल की बानगी पेश करता हुआ उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।
इनके साथ ही पिछले दिनों दिवंगत हुए उत्तराखंड के महत्वपूर्ण जनों में प्रोफेसर रघुबीर चंद्र,शेर सिंह बिष्ट, लोक कलाकार रामरतन काला, इतिहासवेत्ता
शिव प्रसाद नैथानी, राजनीतिज्ञ, बची सिंह रावत, नरेंद्र सिंह भंडारी, गोपाल रावत, सामाजिक कार्यकर्ता अजीत साहनी, गजेन्द्र सिंह परमार,दान सिंह रौतेला की स्मृति स्वरुप विशेष सामग्री प्रकाशित कर युगवाणी ने अपने युगधर्म का निर्वाह किया है। नियमित स्थाई स्तम्भों व विविध सामाग्री से युक्त युगवाणी का यह विशेष अंक मर्मस्पर्शी,जानकारी पूर्ण,श्रद्धा भाव से सम्पृक्त रचनाओं के बावजूद वस्तुपरक विश्लेषणों से युक्त संग्रहणीय अंक हैं।
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