Wednesday, November 19, 2008

'ल्यूमिनस पीक्स" का लोकार्पण और काशीनाथ सिंह का कहानी पाठ

उदयपुर।
हमारी दृष्टि जरूर वैज्ञानिक हुई है लेकिन कल्पना की दुनिया अब सिमटती जा रही है। कहानी के समक्ष यह चुनौती है इसलिए कहानी में सुनाने का भाव आना जरूरी हो गया है। शीर्षस्थ हिन्दी कथाकार प्रो. काशीनाथ सिंह ने उक्त विचार सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के नेहरू अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित 'लेखक से मिलिए" कार्यक्रम में व्यक्त किए। प्रो. सिंह ने कहा कि कहना कहानी के जिंस में है और कहानी कहे जाने के लिए ही लिखी जाती है। उन्होंने इस आयोजन में चर्चित उपन्यास 'काशी का अस्सी" से एक अंश का पाठ भी किया।
आयोजन में डॉ. आशुतोष मोहन द्वारा अनुवादित कविताओं के संग्रह 'ल्यूमिनस पीक्स" का विमोचन प्रो. काशीनाथ सिंह ने किया। डॉ. मोहन ने वरिष्ठ कवि नंद चतुर्वेदी की प्रतिनिधि कविताओं का अनुवाद इस संग्रह में किया है। प्रो। शरद श्रीवास्तव ने इस अनुवाद को चुनौतीपूर्ण कर्म की संज्ञा देते हुए कहा कि भारतीय साहित्य की वैश्विक छवि के लिए ऐसे अनुवाद जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में साहित्य और चित्रकला का अभिनव संगम है। अनुवादित कविताओं के साथ समकालीन चित्रकारों की रेखाकृतियां इसे भिन्न आस्वाद देती हैं। अनुवादक डॉ। आशुतोष मोहन ने कहा कि अनुवाद रचना कर्म जैसा ही बैचेन करने वाला अनुभव है। लोकार्पण की रस्म चित्रकार अब्बास बाटलीवाला, अंग्रेजी आलोचक निखिलेश यादव और ''बनास"" के संपादक पल्लव ने प्रो. सिंह और नंद चतुर्वेदी को हाथों करवाई। आभार ज्ञापित करते हुए नंद बाबू ने कहा कि अपनी कविता की प्रशंसा सुनना एक कठिन काम है। उन्होंने इस दौर को निर्मम समय बताते हुए कहा कि यहां हम अनचाहे आ गए हैं जहां एक उत्सव भी है।
इस अवसर पर 'काशी का अस्सी" और अब्बास बाटलीवाला के कैनवास पर एक प्रायोगिक डाक्यूड्रामा ''कौन ठगवा!"" के संगीत की सी.डी. का लोकार्पण भी हुआ। यह फिल्म परम प्रोडक्शन के बैनर में बनाई जा रही है जिसके निर्देशक डॉ. आशुतोष मोहन हैं। कार्यक्रम का संयोजन शोधार्थी श्रुति शर्मा ने किया। अंत में नेहरू अध्ययन केन्द्र के निदेशक डॉ। संजय लोढ़ा ने आभार व्यक्त किया। आयोजन में डॉ। राजकुमार वर्मा (नई दिल्ली), डॉ. सदाशिव श्रोत्रिय (नाथद्वारा), सी.एस. मेहता, प्रो. नवल किशोर, प्रो. एस.एन. जोशी, प्रो. आर.एन. व्यास, डॉ. विजय पारीक सहित अनेक साहित्यप्रेमी, पत्रकार व विद्यार्थी उपस्थित थे।

पूनम अरोड़ा,
द्वारा : पल्लव
उदयपुर

1 comment:

कुन्नू सिंह said...

बहुत अच्छा लेख।