हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार श्रीमती कुसुम चतुर्वेदी का लम्बी बिमारी के बाद 26 अक्टूबर 2008 को अखिल भारतीयआयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। गत रविवार 2 नवम्बर 2008 को संवेदना की बैठक में देहरादून के रचनाकारों ने अपनी प्रिय लेखिका को याद करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजली दी। तकनीकी खराबियों के चलते रिपोर्ट समय से न दे पाने का हमें खेद है।
जुलाई 2008 में प्रकाशित डॉ कुसुम चतुर्वेदी की कहानियों की पुस्तक मेला उठने से पहले में सम्मिलित कहानी उत्तरार्द्ध का पाठ इस अवसर पर किया गया और साथ ही उनकी रचनाओं का मूल्यांकन भी हुआ। उनकी रचनाओं में मनोवैज्ञानिक समझ और मनुष्य के आपसी संबंधों की सृजनात्मक पड़ताल के ब्योरे को चिन्हित करते हुए कवि राजेश सकलानी ने उनकी कहानी तीसरा यात्री और पड़ाव को इस संदर्भ में विशेषरुप से उललेख किया।
उपस्थितों में मुख्यरुप से कथाकार सुभाष पंत, मदन शर्मा, एस।पी सेमवाल, अशोक आनन्द, जितेन्द्र शर्मा, राजेश पाल, गुरुदीप खुराना, कृषणा खुराना, दिनेश चंद्र जोशी, जितेन ठाकुर, जयन्ती सिजवाली, अनिल शास्त्री आदि रचनाकारों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश बाबला, डी सी मधववाल, राजन कपूर, शकुन्तला, लक्ष्मीभट्ट और डॉ कुसुम चतुर्वेदी की पुत्री नीरजा चतुर्वेदी के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्य बी बी चतुर्वेदी आदि मौजूद थे।
4 comments:
मैं भी कुसुम जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं...
श्रद्धांजलि!!
नमन
kusum chaturvedi ji ek achchhi lekhika to theen hi usse bhi achchhi insaan theen.unaki pavitra smriti ko shat shat naman.
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