दिनांक 20 मार्च को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राधाकृष्णन सभागार में साखी के नये अंक "गोदान को फिर से पढ़ते हुए" का लोकार्पण हुआ। इस अंक का लोकार्पण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 धीरेन्द्र पाल सिंह ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि साखी एक महत्वपूर्ण पत्रिका है और मुझे यह जानकर अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि प्रेमचन्द की 125 वीं जयन्ती के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में गोदान को फिर से पढ़ते हुए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। इसमें देश-विदेश कई प्रतिभागियों ने भाग लिया था। कबीर और प्रेमचन्द भारतीय साहित्य के अग्रणी लेखक हैं। गोदान विश्व साहित्य की प्रमुख कृतियों में से एक है। साखी के इस अंक से प्रेमचन्द और गोदान को समझने की एक नई दृष्टि मिलेगी। युवा पीढ़ी को अपनी परंपरा एवं संस्कृति को जानने और समझने का अवसर मिलेगा। इस अवसर पर साखी के संपादक एवं प्रेमचन्द साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो0 सदानन्द शाही ने बताया कि प्रेमचन्द साहित्य संस्थान के स्थापना की प्रेरणा उन्हे सोवियत संघ के गोर्की संस्थान से मिली। उन्होंने कहा कि कबीर और प्रेमचन्द एक ही परंपरा से जुड़े हुए हैं और साखी उसी परंपरा के प्रति प्रतिबद्ध है। संचालन करते हुए प्रो0 अवधेश प्रधान ने कहा कि अपने सीमित संसाधनो के बावजूद साखी ने समकालीन जीवन और साहित्य पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इसके नायपॉल और एडवर्ड सईद विशेषांक की चर्चा हिन्दी के बाहर भी हुयी है। अध्यक्षता करते हुए कला संकाय प्रमुख प्रो0 सूर्यनाथ पाण्डेय ने कहा कि साखी ने सईद और नायपॉल पर जितना काम किया है उतना अंग्रेजी में भी नहीं हुआ है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो0 बलराज पाण्डेय ने कहा कि साखी मात्र एक पत्रिका नहीं बल्कि एक आन्दोलन है। और इस आन्दोलन में वह पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़ी है।
साखी के इस अंक में नामवर सिंह, पी।सी। जोशी, पी।एन।सिंह, मारियोला आफरीदी, डाग्मार मारकोवा, शंभुनाथ, विजेन्द्र नारायण सिंह, कंवल भारती, कर्मेन्दु शिशिर, परमानंद श्रीवास्तव, ए। अरविंदाक्षन, गोपाल प्रधान आदि लेखकों के गोदान पर केन्द्रित लेख हैं। इस अवसर पर कई साहित्यकार उपस्थित थे।
यह रिपोर्ट उदयपुर के युवा रचनाकार पल्लव के मार्फत पहुंची है। हम पल्लव जी के आभारी है, जो लगातार ऐसी महत्वपूर्ण खबरों को पाठकों तक पहुंचाने में अपनी पूरी सक्रियता के साथ हैं।
3 comments:
badhai...
जानकारी के लिए धन्यवाद ... बधाई।
कल ही शाम गोदान फिल्म देखी। होरी और गोबर को चलते फिरते देखा....अनुभव मजेदार रहा। ये खबर देख कल की शाम याद आ गई।
Post a Comment