चकमक के मई अंक पर पवि ने यह समीक्षात्मक टिप्पणी लिखी और स्वंय ही टाइप की है। पवि कक्षा नौ की छात्रा है। इससे पहले भी पवि ने संवेदना की मासिक गोष्ठी की एक रिपोर्ट तैयार की थी। |
चकमक को पढते-पढते मुझे सात आठ साल हो गए है । चकमक का हर अंक एक दिलचस्प किस्सा लेकर आता है । इस बार के मई अंक में भी काफी मजेदार चीजे प्रकाशित हुई है । इस अंक में छपी "अनारको के मन की घड़ी" कहानी मुझे सबसे बेहतरीन कहानी लगी, इस कहानी को सती नाथ षडंगी जी ने लिखा है, उन्होनें कहानी को इतने अच्छे ढंग से लिखा है कि कहानी पढ़ने में बडा मजा आया । इस अंक में और भी कई मजेदार कहानियॉं प्रकाशित हुई हैं, जैसे "एक चूजे की यात्रा" "ये बुजुर्ग" "बॉसुरी नही बजती बजाता है आदमी" "गधे की हजामत"। इस अंक में सिर्फ मजेदार कहानियॉं ही नहीं मसालेदार कविताऍ भी है और सबसे ज्यादा मजेदार कविता तो गुलजार जी की है "एक और अगोडा"। इस अंक के अलावा पिछले कुछ अंको में भी गुलजार जी की कविताऍ छपी हैं । हर बार की तरह इस बार के अंक में भी माथापच्ची और चित्र पहेली है । इस बार के अंक में "बहादुर शाह जफर का खत अपनी बेटी के नाम" और "क्या बताएं कि बेंजामिन फैंकलिन कौन थे" भी है । हर बार की तरह इस बार का अंक भी अच्छा है ।
-पवि
12 comments:
शाबाश पवि!
तुम्हें आशीष दे रहा है रवि!
आशीर्वाद पवि
ऐसी समीक्षाएं
बेहतर कल की
बेहतर शुरूआत।
पवि को शुभकामना,, कभी मौका नहीं लगा कि चकमक देख पायें.
प्रिय पवि
मेरी बिटिया भी चकमक पढ्ती है … हालांकि है अभी 8 साल की तो बहुत कुछ समझ नहीं पाती।
सच बताऊं-- पढता तो मै भी हूं और बडा मज़ा आता है।
अब तुम्हारे लिखे की प्रतीक्षा करुंगा चकमक में…ढेर सारी शुभकामनायें।
टीवी चेनलों के दौर में पवि पढ़ रही है यही अचरज की बात है और वो लिखती भी है ये तो बहुत बढ़िया. वाह जी वाह पवि जी
बच्ची बाप के नक्श-इ-क़दम पर है. खूब! पवि को प्यार.
अच्छी शुरुआत है.बेहतरीन और सबसे बेहतरीन का अन्तर भी जल्दी सीख जाओगी. शुभ हो यात्रा.
शाबाश पवि ! मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम चकमक इतने लगाव से पढ़ती हो. मैं भी अपने बचपन से ही चकमक पढ़ता आ रहा हूँ. और अब उसके माध्यम से ही तुम सबसे बात करता हूँ. वैसे क्या ’डर’ वाले किस्से नहीं पढ़े? तुम भी कुछ लिखकर भेजो इस बारे में. हमने तो अपने डर लिखे, हमें पाठकों की राय का और उनके भी मन में छिपे डर को जानने का इंतज़ार है.
@ उड़न तश्तरी जी. चकमक को अब आप ऑनलाइन भी देख सकते हैं. ये लिंक देखें.
http://www.eklavya.in/go/index.php?option=com_content&task=category§ionid=13&id=57&Itemid=84
उम्मीद है आपको और वहाँ और बच्चों को भी ये पत्रिका पसन्द आयेगी.
बहुत सुंदर।
मेरी बिटिया कोपल चकमक की आजीवन सदस्य है लेकिन चकमक आते ही पहले कौन पढे इस पर हम दोनो की छीनाझपटी होती है .पवि को आशीश और प्यार
... bahut khoob !!!!!
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