अरविंद शेखर
कहते हैं संस्कृति की कोई सरहद नहीं होती। सच भी है, क्योंकि हिमाचल के किन्नौर की हरी पट्टी वाली किन्नौरी टोपी अब उत्तराखंड के लोगों के सिरों पर भी खूब सज रही है। दून में तो आपको किन्नौरी टोपी पहने बहुत से लोग दिख जाएंगे, लेकिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती के हरकी दून ट्रैक के क्षेत्र में तो हर दूसरा आदमी हरे रंग की पट्टी वाली किन्नौरी टोपी पहने दिखता है। हम जिन टोपियों को आम तौर पर हिमाचली टोपियां कहते और समझते हैं, वे क्षेत्रवार तीन प्रकार की हैं- कुल्लू टोपी, बुशहरी टोपी और किन्नौरी टोपी। कुल्लू टोपी स्लेटी रंग के ऊनी कपड़े पर रंग बिरंगी सुनहरे रंग की वी व डब्लू जैसी डिजाइन वाली ऊन की कढ़ाई वाली होती है।
अमूमन इसीको हिमाचली टोपी के रूप में जाना जाता है। दूसरी बुशहर टोपी में लाल या मैरून वेलवेट लगा होता है। यह सफेद वैलवेट पर हरे किनारे की पट्टी वाली टोपी भी हो सकती है। तीसरे किस्म की टोपी है-किन्नौर जिले की पहचान किन्नौरी टोपी। शेष अन्य टोपियों से महंगी इस टोपी की खासियत यह है कि इसे किन्नौर में पुरुष और महिलाएं दोनों पहनते हैं। हलके स्लेटी रंग के ऊनी कपड़े से बनी इस टोपी में हरी वैलवेट की पट्टी होती है। कहा जाता है कि हरे रंग का यह वैलवेट एक जमाने में तिब्बत से तस्करी कर लाया जाता था। इस वैलवेट की पट्टी के तीन किनारों पर नारंगी, लाल या केसरिया पट्टी होती है। ज्यादा सर्दी पड़ने पर वैलवेट की पट्टी को खोलकर कान ढंके जा सकते हैं। किन्नौर में इस टोपी को दलित नहींपहन सकते, लेकिन उत्तराखंड में पहुंचते ही यह गलत धारणा खत्म हो जाती है। बहुपति प्रथा वाले किन्नौर क्षेत्र में एक पति अगर पत्नी के साथ हो तो वह संकेत के तौर पर दरवाजे के बाहर खूंटी में अपनी टोपी टांग देता है, ताकि उनका एकांत भंग न हो। ट्रैकिंग के शौकीन युवा रंगकर्मी व साहित्यकार विजय गौड़ कहते हैं कि हरकी दून का इलाका हिमाचल जिले से लगा हुआ है। यहां के लोग अक्सर किन्नौर चले जाते हैं और वहां से किन्नौरी टोपियां ले आते हैं। हरकी दून के पूरे इलाके में आपको क्या पोर्टर, क्या दुकानदार, सभी किन्नौरी टोपी में नजर आते हैं। लगता है जैसे हरी टोपियों के संसार में कदम रख दिए हों। उत्तरकाशी निवासी डीपी उनियाल बताते हैं किन्नौरी टोपी कितनी लोकप्रिय हो चुकी है, यह बात पिछले साल रिलीज हुए गढ़वाली के एक म्यूजिक एलबम टिकुलिया मामा के लूण भरी दूण फुंदू लूण भरी दूण गाने में सभी कलाकारों ने किन्नौरी टोपी पहनी है।
5 comments:
Bahut Sahi jaankari m uhaiya karayi aapne
जानकर अच्छा लगा कि किन्नौरी टोपियाँ ट्रेवल कर रही हैं. वैसे हिमाचल मे ये तीन नहीं, और भी कई डिज़ाईन हैं. जैसे हमारे लाहुल में शुद्ध ऊन की टोपी होती है. कुछ इलाक़े में सलेटी, कहीं पे मेरून, और कहीं काली.
वाकई संस्कृति की कोई सरहद नहीं होती...
बेहतर...
टोपियों पर और जानकारी दें
ye to bahut dilchasp hai... itni chhoti si cheez ki bhi ek kahani hai.. that is perhaps the beauty of culture and its integral stories, there are so many interesting stories in everything that seems so mundane and simple
Post a Comment