हरजीत को गये ग्यारह वर्ष हो गये.लेकिन उसका जिक्र यूं होता है जैसे वह यहीं कहीं हो.अभी झोला भूल आया है जिसमें दोस्तों का इन्तजाम भी है.
यहां हम हरजीत को याद करते हुए हरजीत के संगी कलाकार
दीपक कुमार उर्फ़ दीपक देहरादूनिया का बनाया पोस्टर लगा रहे हैं. ( अब जयपुर वासी दीपक पर एक पोस्ट जल्द ही लगायी जायेगी)
6 comments:
बढिया प्रस्तुति।आभार।
Jai Ho!
aakri panktiyon ne dil jeet liya...dagabaazon ke naam...waah...bahut achcha...
matla aur uske baad ka sher sabse qamyaab lage...achhi ghazal hui hai
एक उम्दा ग़ज़ल...
और बेहद प्रभावी पोस्टर...
आभार...
"मुल्क होता जा रहा है कुछ दगाबाजों के नाम "
बहुत सटीक बात!
बहुत उम्दा ग़ज़ल और पोस्टर !
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