दूर तक फैले सघन
देहरादून के सालवन
हरितिमा ही हरितिमा
आंखों की प्रियतमा
वृक्षों का कारवां
कभी यहां , कभी वहां
गजब के कमाल वन
देहरादून के साल वन
पेडों की पांत का
उठता हुआ सिलसिला
काही रंग के मंजर का
हंसता हुआ काफिला
बाहें फैलाये खडे
गले मिलो, अंग्वाल वन
देहरादून के साल वन
रात गहराई हुई
बात शरमाई हुई
झुरमुटों में वनचरों की
नींद अलसाई हुई
सांझ से चुप मौन साधे
खडॆ हैं निढाल वन
देहरादून के साल वन
पतझड़ में ठूंठ प्यारे
पेड़ नंगे तन विचारे
पत्तियों की चरमराहट की
कई नयी ताल ध्वनियां
फाल्गुन में फूलों की
महमहाती फुनगियां
सुतर लम्बे, हरे खम्बे
मोहक मृणाल वन
देहरादून के साल वन
बारिश मे बूंदे गिरतीं
वृक्षों की छाती पर
कोहरे की धुंध चिरती
मिटें ना, ये कटे ना
जादुई माहौल रचते
गझिन मालामाल वन
देहरादून के साल वन
देहरादून के सालवन
हरितिमा ही हरितिमा
आंखों की प्रियतमा
वृक्षों का कारवां
कभी यहां , कभी वहां
गजब के कमाल वन
देहरादून के साल वन
पेडों की पांत का
उठता हुआ सिलसिला
काही रंग के मंजर का
हंसता हुआ काफिला
बाहें फैलाये खडे
गले मिलो, अंग्वाल वन
देहरादून के साल वन
रात गहराई हुई
बात शरमाई हुई
झुरमुटों में वनचरों की
नींद अलसाई हुई
सांझ से चुप मौन साधे
खडॆ हैं निढाल वन
देहरादून के साल वन
पतझड़ में ठूंठ प्यारे
पेड़ नंगे तन विचारे
पत्तियों की चरमराहट की
कई नयी ताल ध्वनियां
फाल्गुन में फूलों की
महमहाती फुनगियां
सुतर लम्बे, हरे खम्बे
मोहक मृणाल वन
देहरादून के साल वन
बारिश मे बूंदे गिरतीं
वृक्षों की छाती पर
कोहरे की धुंध चिरती
मिटें ना, ये कटे ना
जादुई माहौल रचते
गझिन मालामाल वन
देहरादून के साल वन
3 comments:
सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है।
बहुत अच्छी कविता! सालवन की सघनता भीतर तक फ़ैल गई. कवि को बधाई.
सांझ से चुप मौन साधे
खडॆ हैं निढाल वन
देहरादून के साल वन
bahut sundar hai kavita..
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