इस महीने की 15 तारीख को छोड़े गए भारत के नए संचार उपग्रह जी सैट-12 की सुर्खियाँ मुंबई बम धमाकों के कारण नहीं बन पायीं ...पर आत्म निर्भरता की इस तकनीकी मिसाल का एक पहलू रोमांच और गौरव पैदा करता है.इस अभियान को सही ढंग से स्थापित करने की महती जिम्म्मेदारी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की जिस टीम को दी गयी है उसमें सबसे अग्रणी भूमिका तीन महिला वैज्ञानिकों की है: प्रोजेक्ट डाइरेक्टर टी के अनुराधा, मिशन डाइरेक्टर प्रमोधा हेगड़े और आपरेशंस डाइरेक्टर के.एस.अनुराधा (चित्र संलग्न). उपग्रह छोड़े जाने के बाद उसको सुरक्षित अपेक्षित ऊंचाई तक पहुँचाना और सही तरीके से स्थापित कर के सौंपे गए दायित्वों को सुचारू रूप से आरंभ करवाना इस वैज्ञानिक दल के कन्धों पर हैं...इस काम में करीब डेढ़ से दो महीने का समय लगता है.अब तक के विवरण बताते हैं कि जिन सुयोग्य कन्धों पर इसरो के शीर्ष नेतृत्व ने यह दायित्व सौंपा था,वे विशाल देश की अपेक्षाओं पर बिलकुल खरे उतरे हैं.
सक्षम और सुयोग्य स्त्री शक्ति को सलाम.............
प्रस्तुति: यादवेन्द्र
1 comment:
Anonymous noreply-comment@blogger.com
6:10 AM (13 hours ago)
to me
Anonymous has left a new comment on your post "तकनीकी अभियान":
Greetings... your blog is very interesting and beautifully written.
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