कई घंटों लम्बी न रुकने वाली बरसात के एक दिन मैंने बेडरूम के रोशनदान के शीशे के पार परिंदों का एक जोड़ा सिमटा सुरक्षित बैठा हुआ देखा...सार्थक साथ की जरुरत और इस से मिलने वाली सुरक्षा और सुकून की शिद्दत से समझ आई...उस दृश्य को मोबाईल के कैमरे में कैद कर के आपके पास भेज रहा हूँ...मुझे लगता है यह अपने आपमें एक सार्थक कविता है. -यादवेंद्र
3 comments:
bahut saarthak click. aabhaar.
yakinan...
Really its a beautiful piece in itself.
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