Monday, January 28, 2013

हमन है इश्क़ मस्ताना



(नया ज्ञानोदय का ग़ज़ महाविशेषांक इस लोकप्रिय विधा के इतिहास की झलक दिखाने में कामयाब रहा है. यहां प्रस्तुत है इस विशेषांक में प्रकाशित कबीर की रचना)



हमन है इश्क़ मस्ताना हमन को होशियारी क्या?

रहें आज़ाद या जग से हमन दुनिया से यारी क्या?



जो बिछुड़े हैं पियारे से भटाकते दर-ब-दर फिरते,

हमारा यार है हम मेम हमन को इन्तज़ारी क्या?



ख़लक सब नाम अपने को बहुत कर सिर पटकता है,

हमन गुरनाम सांचा है हमन दुनिया से यारी क्या?



न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछुड़े पियारे से

उन्हीं से नेह लागी है   हमन को  बेकरारी  क्या?



कबीरा  इश्क़  का माता,दुई को दूर  कर  दिल से,

जो चलना राह नाज़ुक है  हमन सिर बोझ भारी क्या?




4 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

अति सुन्दर.....

आभार
अनु

Anonymous said...

Monetize your adult sites

[url=http://www.youtube.com/watch?v=QdRWd3nJFjE]Best adult pay per click[/url]

Anonymous said...

Are you looking for [url=http://bbwroom.tumblr.com]BBW pictures[/url] this blog is the right place for you!

Anonymous said...

www.blogger.com owner you are awsome writer
Here you got some [url=http://epic-quotes.tumblr.com]funny pics[/url] for better humour