(देहरादून १ जून २००८)
संवेदना की मासिक गोष्ठी, जो हर माह के पहले रविवार को होती है, में आज काफी अच्छी उपस्थिति रही। उपस्थितों में मुख्यरुप से कथाकार विद्यासागर नौटियालए सुभाष पंत, कुसुम भटट, गुरुदीप खुराना, जितेन्द्र शर्मा, जितेन ठाकुर, दिनेश चंद्र जोशी, मदन शर्मा, जितेन्द्र भारती, कवि लीलाधर जगूड़ी, राजेश सकलानी, प्रेम साहिल, राजेश पाल, प्रमोद सहाय, जयंति सिजवाली, कृष्णा खुराना आदि रचनाकारों के अलावा साहित्य के शुद्ध रुप से पाठक सी एन मिश्रा, राजेन्द्र गुप्ता, शकुन्तला, गीता गैरोला, वेद आहलूवालिया आदि मौजूद थे।
गोष्ठी जितेन ठाकुर के हाल ही में प्रकाशित उपन्यास उड़ान पर केन्द्रित थी। चर्चा के आरम्भ में दो लिखित पर्चे प्रस्तूत हुए। शशिभूषण बड़ूनी, जो किन्हीं कारणों से स्वंय उस्थित नहीं हो पाये, ने अपनी राय पर्चे के रुप में लिख कर भेजी, जिसका पाठ किया गया। दूसरा पर्चा दिनेश चंद्र जोशी का था।
चर्चा से पूर्व उड़ान के एक अंश का पाठ किया हुआ। दोनों ही पर्चों ने बहस को पूरी तरह से खोल दिया था जिसमें उपन्यास के पात्रों से लेकर, भाषा-शिल्प और कथानक तक के ब्यौरे ने सभी को चर्चा में शामिल कर लिया। यूं उपस्थितों में ज्यादातर उपन्यास को पहले ही पढ़ चुके थे। पर जिन्होंने उपन्यास नहीं पढ़ा था, वे भी इस विस्तृत चर्चा में हिस्सेदारी करते हुए उपन्यास से एक हद तक परिचित हो गये।
समकालीन रचना जगत में जितेन जमकर लिखने वाले और उसी रुप में पढ़े जाने वाले एक महत्वपूर्ण कथाकार हैं। उड़ान के मार्फत हुई चर्चा में जहां उनकी इस खूबी को चिन्हित किया गया वहीं उनके रचना संसार के ऐसे कमजोर पक्ष भी आलोचना के केन्द्र में रहे जिनके मार्फत उड़ान की प्रासंगिकता पर भी विचार किया जा सका।
4 comments:
आपकी रिपोर्ट के माध्यम से इस गोष्ठी के बारे में जानना अच्छा लगा.
pichhle dino mjhe bhi dehradoon aane ka mauka mila aapne meri yadein taaza kar di iske liye thanks and sir guied us too
www.scam24inhindi.blogspot.com
बहुत खूब। इतवार सार्थक हुआ।
bahut khoob.....
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