शिरीष कुमार मौर्य युवा हैं। इस दौर के महत्वपूर्ण कवि हैं। एक युवा कवि का अपने समकालीन और वरिष्ठ रचनाकार को दर्ज करना कोई अनायास घटी हुई घटना नहीं हो सकता। बल्कि कहा जा सकता है कि उन आदर्शों, विश्वासों और उन जीवन-मूल्यों के प्रति यकीन ही होता है ।
शिरीष कुमार मौर्य
काली फ्रेम के चश्मे के भीतर
हँसती
बूढ़ी आँखें
चेहरा
रक्तविहीन शुभ्रतावाला
पिचका हड़ियल
काठी कड़ियल
ढलती दोपहरी में कामरेड का लम्बा साया
उत्तर बाँया
जब खोज रही थी दुनिया सारी
तुम जाते थे
वनगूजर के दल में शामिल
ऊँचे बुग्यालों की
हरी घास तक
अपने जीवन के थोड़ा और
पास तक
मैं देखा करता हँू
लालरक्तकणिकाओं से विहीन
यह गोरा चिट्टा चेहरा
हड़ियल
लेकिन तब भी काठी कड़ियल
नौटियाल जी अब भी लोगों में ये आस है
कि विचार में ही उजास है !
बने रहें बस
बनें रहें बस आप
हमारे साथ
हम जैसे युवा लेखकों का दल तो विचार का
हामी दल है
आप सरीखा जो आगे है
उसमें बल है !
2 comments:
नौटियाल जी शतायु हों।
बहुत सुंदर ... अच्छे लोगों की आयु जितनी लंबी हो ... समाज का उतना ही भला होता है ... शुभकामनाएं।
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