जतिन दास की कलाक्रतियां और २२ जनवरी २०११ को जवाहर कला केन्द्र में दिया गया उनका व्याख्यान हमारे मित्र और चर्चित कथाकार अरुण कुमार ’असफल’ द्वारा रिकार्ड किया गया है। भारतीय कला की समकालीन स्थितियों पर एक सचेत कलाकार का यह व्याख्यान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कला के वे बारिक सूत्र जो जिसमें एक रचना के सम्पूर्ण सौन्दर्य को जाना समझा जा सकता है के साथ-साथ उन कारणों की गम्भीर पड़्ताल बहुत ही सहजता से की गई है जो रचना और रचनाकार के बिकाऊ होते जाने की परिस्थितियों का कारण है। बजाय इसके कि व्याख्यान के बारे में अलग से कुछ कहा जाए, क्लिक कीजिये और सुनिये खुद ही।
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