जिस तरह अरविन्द शर्मा के लिए पिछले लगभग 16-17 सालों का देहरादून का घटनाक्रम एक खबर हो सकता है, ठीक वैसे ही देहरादूनियों के लिए अरविन्द की खोज एक खबर से कम नहीं। इस खबर को संभव बनाया है एक ऐसे ही देहरादूनिये ने जिनसे मेरा पहला परिचय अरविन्द भाई ने ही करवाया था- कथाकार सूरज प्रकाश। ब्लाग पर जब भी अरविन्द भाई का जिक्र किया तो ब्लाग पोस्टों को पढ़ने के बाद हमेशा खामोश रह जाने वाले सूरज भाई उस समय खामोश न रह पाए - अरविन्द ने कल अचानक मुझे पिछले बीस वर्षों बाद फोन किया, न जाने कहां-कहां से मेरा फोन नम्बर हासिल करने के बाद। यह सूचना भाई सूरज प्रकाश ने ही मेल की थी। भला ऐसा कैसे होता कि उस गुम हो गए अरविन्द को खोज लिए जाने की खबर देहरादून के बाशिंदों को क्यों न चौंकाती। फोन नम्बर सूरज भाई से मिल गया था। अरविन्द भाई से सम्पर्क हुआ तो चौंक गए। मालूम हुआ कि वे अहमदाबाद में ही हैं और लगातार रचनारत हैं। अवधेश, हरजीत ( दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं) और अरविन्द ये तीन ही शख्स रहे देहरादून के, जो कई सारे चित्रों को आड़ा तिरछा काट-चिपका कर कोलाज बनाया करते थे। स्कैच भी बनाते थे। स्कैच बनाने वाला तो एक और शख्स रहा रतिनाथ योगेश्वर। वही रति जिसने दलित धारा के रचनाकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के पहले कविता संग्रह - सदियों का संताप का, जो फिलहाल प्रकाशन, देहरादून से छपा था, कवर पेज स्कैच किया था। आजकल वह भी न जाने कहां है। दो वर्श पूर्व इलाहाबाद में मुलाकात हुई थी। बाद में मालूम हुआ शायद मध्य प्रदेश के किसी इलाके में स्थानानतरित हो गया है वह। प्रस्तुत है अरविन्द शर्मा के कोलाज। |
Saturday, October 17, 2009
एक रचनात्मक खबर
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9 comments:
विजय
अरविंद अब से तुम्हारा हुआ उसे देहरादून को वापिस लौटा रहा हूं1 अगर तुम्हारे बहाने से वह कुछ और बेहतर रच पाया तो मैं सबसे पहले खुशियां बाटूंगा।
मैं ब्लाग पढ़ कर बहुत कम बार अपनी बात कह पाता हूं लेकिन ऐसा भी नहीं है। कहा भी है मैंने
आपके जरिये देहरादून में सब तक दीपावली की मंगल कामना
सूरज
निशि दिन खिलता रहे आपका परिवार
चंहु दिशि फ़ैले आंगन मे सदा उजियार
खील पताशे मिठाई और धुम धड़ाके से
हिल-मिल मनाएं दीवाली का त्यौहार
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
एक सकारात्मक सोच कि प्रस्तुति, आभार.
"दीपावली" पर्व की आपको सपरिवार मंगल भावनाएँ. आपका जीवन स्वस्थ्य ,शतायु और यशस्वी हो.
-विजय तिवारी " किसलय " जबलपुर ".
Kya Baat hai, aaj diwali key din Arvind se baat bhe ho gayi. wahi aawaj, pal bhar main waqt ki dooriyan khatam, laga ki ab bolega ki shyam kya program hai, mere paas 140 hain, tumhari jeb main kitne hain
विजय भाई
अच्छी खबर है, अपना एक पुराना शेर याद आ गया -
उसका चेहरा है आखिर
अच्छी खबर सा लगे है
अरविन्द भाई को शुभकामनाएं
रतिनाथ योगेश्वर इस समय पंचमढ़ी में हैं. फोन न. है
09424470476
दुनिया बहुत छोटी है.अरविन्द का इन्तजार है
खूबसूरत कोलाज़ है .
पुराने दोस्त इसी तरह मिलते हैं । मुझे ढेर सारे नये दोस्तों के साथ पुराने दोस्त भी यहाँ मिले जैसे सूरज प्रकाश जी , अशोक कुमार पाण्डेय, रविन्द्र व्यास ,विवेकगुप्ता ,प्रमोद कौंस्वाल आदि आदि हो सकता है विजय गौड़ भी हो ..।
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