Sunday, January 25, 2009

पहले फिराक को देखा होता, अब तो बहुत कम बोलते हैं

वरिष्ठ कवि अनूप सेठी के हम आभारी हैं, जिन्होने विजय वर्मा सम्मान समारोह के दौरान, वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह द्वारा दिए गए वक्तव्य को अपने मोबाइल फ़ोन से रिकार्ड कर हम तक पहुंचाया। ज्ञात हो कि कथाकार योगेंद्र आहूजा की पुस्तक अंधेरे में हंसी और कवि अलोक श्रीवास्तव की गजलों की किताब आमीन को, 17 जनवरी 2009 को मुम्बई में, वर्ष 2008 के विजय वर्मा सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कथाकर योगेंद्र आहूजा द्वारा दिए गए वक्तव्य को आप पहले ही पढ चुके हैं।




5 comments:

Udan Tashtari said...

विडियो शाम को देखूँगा..अभी:

आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

Anonymous said...

क्षमा करें, इसमें वीडियो नहीं है, सिर्फ आडियो है. रात का वक्‍त था, मंच से दूर था. एक फोटो खीचा जो काफी धुंधला आया. मेरे कैमरे में ऑडियो एक मिनट से ज्‍यादा नहीं आता. सोचा वीडियो से ही ऑडियो का काम चलाया जाए. यह बात मैने भाई वजिय गौड़ को भी बताई.

Anonymous said...

बहुत अच्छा लगा। नामवर जी को सुनना अपने आप में एक नियामत है। वह हंसी बहुत कुछ कहती है/लेकिन अपने में रहती है शायद उनकी पसंदीदा कविता है। कई बार इसका जिक्र सुना मैंने उनसे। अनूप सेठीजी का आभार कि यह बातचीत उन्होंने हम तक आपके जरिये पहुंचाई। अनूप सेठी जी ने ही हिंदी ब्लागिंग के बारे में तीन साल पहले वागर्थ में लिखा था। मेरी समझ में वह लेख हिंदी ब्लागिंग के बारे में लिखे बेहतरीन लेखों है। अनूप सेठीजी ने अभी तक ब्लाग लिखना शुरू किया कि नहीं? अगर हां तो उसका लिंक क्या है? अगर नहीं तो क्यों नहीं? :)

Anonymous said...

नमस्कार गौड़ साहब,
नामवर जी को सुना कर बहुत अच्छा लगा, इसी तरह हम तक पहुंचाते रहिएगा,
धन्यवाद !
सस्नेह !
दिलीप गौड़
गांधीधाम

Anonymous said...

good one...which application are you using for typing in Hindi...? was searching for user friendly tool and found 'quillpad'.do u use the same tool...?