ठाकुर का कुआँ
चुल्ला मिटटी का
मिटटी तलब की
तलब ठाकुर का ।
भूक रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का
बेल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फसल ठाकुर की
कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलियान ठाकुर के।
फ़िर अपना क्या ?
गाओं ?
सहर ?
देश ?
हिन्दी मी दलित साहित्य की स्थापना से काफी पहले पर्कसित ओम परकाश वाल्मीकि की कविता पुस्तक - "सदियों का संताप" दलित धारा के साहित्य की एक महत्वपूर्ण पुस्तक हे। ठाकुर का कुआँ सब्ग्रह की पहली कविता हे जो उसी चेतना का पर्तिनिधितव करती हे, परवर्ती डोर मी जिसे दलित धरा के रूप mearkasitHindi मी जन जाने लगा
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